केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के बीच बॉर्डर पर बढ़ती घटनाओं के विरोध और करीब 7 महीने से बंद सिंघु बॉर्डर को एक तरफ से खुलवाने के लिए रविवार को सोनीपत के सेरसा में दिल्ली और हरियाणा के गांव समर्थित 36 बिरादरी की महापंचायत चल रही है।
इस महापंचायत में दिल्ली के 12 और हरियाणा के 17 गांवों के लोग भी शामिल हुए हैं। महापंचायत के दौरान बॉर्डर पर बढ़ती घटनाओं और करीब 7 महीने से बंद सिंघु बॉर्डर को लेकर चिंता जताई गई। महापंचायत के अध्यक्ष ने बताया कि हमारी 3 मांगें हैं – एक तरफ से सिंघु बॉर्डर खोला जाना चाहिए, कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए और प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स नहीं लगाने चाहिए। हम केंद्र और राज्य सरकारों से मिलेंगे”
बता दें कि, नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते साल 26 नवंबर से हजारों की तादाद में किसान दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
आगामी 26 जून को किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने जा रहे हैं। इस मौके पर देशभर में राजभवन के बाहर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा खेती बचाओ-लोकतंत्र बचाओ दिवस (Kheti Bachao, Loktantra Bachao Diwas) मनाया जाएगा, जिसके तहत देश-प्रदेश के राजभवनों पर प्रदर्शन किया जाएगा और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया जाएगा।
गौरतलब है कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।