मुंबई की हीरानंदानी सोसाइटी में फर्जी वैक्सीनेशन ड्राइव चलाकर 390 लोगों को इंजेक्शन लगवाने वाले 4 आरोपियों को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनमें एक बड़े हॉस्पिटल का कर्मचारी भी शामिल है। इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड एक 10वीं फेल शख्स है। वैक्सीन का जुगाड़ करने और कैंप का जिम्मा संभालने का काम उसी के कंधे पर था। जिन लोगों को पकड़ा गया है, उनमें एक शख्स मध्यप्रदेश का रहनेवाला है। इसने MP के सतना से फेक वैक्सीन की सप्लाई की थी।
जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपियों ने 9 सोसाइटीज में इस तरह के फर्जी वैक्सीनेशन कैंप लगाए थे। टीके लगने के बाद किसी भी व्यक्ति को बुखार या थकान के लक्षण नहीं दिखे तो उन्हें शक हुआ। इसके बाद सोसाइटी के अधिकारियों ने पुलिस से शिकायत की।
सील टूटी वैक्सीन, नकली सर्टिफिकेट
मुंबई के एडिशनल पुलिस कमिश्नर दिलीप सावंत ने कहा कि इस वैक्सीनेशन ड्राइव का आयोजन सरकार या BMC की ओर से नहीं किया गया था। अभी तक इनके किसी अधिकृत सोर्स से वैक्सीन खरीदने के प्रमाण भी नहीं मिले हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि लोगों को जो वैक्सीन लगाई गई, उसकी सील पहले से टूटी हुई थी। इसके पुख्ता सबूत मिल चुके हैं कि लोगों को जो सर्टिफिकेट दिया गया, वह भी फेक था और उसे हॉस्पिटल की ID चुराकर तैयार किया गया था।
10वीं फेल शख्स है मास्टरमाइंड
सावंत ने बताया कि इस पूरे खेल का सूत्रधार एक 10वीं फेल शख्स है। वह 17 साल से मेडिकल फील्ड में काम कर रहा था। अभी तक इस मामले में कुल चार लोग गिरफ्तार हुए हैं। इसमें कुछ अन्य भी रडार पर हैं। जिस दौरान यह फर्जी वैक्सीनेशन ड्राइव चल रही थी, वहां कोई भी क्वालिफाइड डॉक्टर मौजूद नहीं था। एक अन्य लड़के को मध्यप्रदेश के सतना से पकड़ा गया है। 9 अन्य जगह भी पुलिस जांच के लिए जाएगी।
BJP नेता ने की कार्रवाई की मांग
इधर, BJP नेता किरीट सोमैया ने कहा कि वैक्सीनेशन घोटाले में BMC के लोग शामिल हैं। कांदिवली मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। बोगस आधार कार्ड बनाकर 18 से 22 साल तक के लोगों को टीका लगाया गया. आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
30 मई को हीरानंदानी में लगा था कैंप
इससे पहले सोसाइटी में रहने वाले हितेश पटेल ने बताया था कि 30 मई को हीरानंदानी हाउसिंग सोसाइटी परिसर में 390 लोगों को कोवीशील्ड का टीका लगाया गया। हर डोज के लिए 1,260 रुपए लिए गए। सोसाइटी की ओर से कुल 4 लाख 91 हजार 400 रुपए का भुगतान किया गया। उन्होंने बताया कि राजेश पांडे नाम के एक व्यक्ति ने खुद को कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल का प्रतिनिधि बताते हुए सोसाइटी कमेटी के सदस्यों से संपर्क किया था। इस अभियान का संचालन संजय गुप्ता ने किया, जबकि महेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति ने सोसाइटी के सदस्यों से पैसा लिया था।
न मैसेज आया, न फोटो लेने दी
पाटिल ने बताया कि टीका लगने के बाद हमारे मोबाइल पर किसी भी तरह का मैसेज नहीं आया। इसके अलावा टीका लगवाने के दौरान हमें सेल्फी या फोटो खींचने की अनुमति नहीं दी गई। सोसाइटी के एक अन्य सदस्य ऋषभ कामदार ने बताया कि टीका लगते समय किसी को भी रिसीव्ड या सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। 10-15 दिन बाद प्रमाण पत्र आए तो वे अलग-अलग अस्पतालों जैसे नानावटी, लाइफ लाइन, नेस्को BMC टीकाकरण केंद्र की ओर से जारी किए गए थे। इस मामले में संबंधित अस्पतालों से संपर्क किया तो उन्होंने सोसाइटी को टीके उपलब्ध कराने से इंकार किया।