सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद के गांव खोरी में मकान टूटने की खबरों से करीब 10 हजार परिवार सदमे में हैं। गांव के लोगों की अपील खारिज होने के बाद अब जिला प्रशासन कभी भी यहां दस हजार अवैध मकानों पर बुल्डोजर चला सकता है। एक दिन पहले बुजुर्ग की आत्महत्या और उसके बाद हुए बवाल को लेकर प्रशासन अब फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। गुरुवार को नगर निगम, पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें खोरी में कब्जा हटाने की रणनीति पर चर्चा की गई।
हालांकि, अधिकारी कार्रवाई शुरू करने की तारीख बताने से बच रहे हैं, लेकिन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में लोगों को किसी प्रकार की राहत नहीं मिलने के बाद अब प्रशासन किसी भी सूरत में ढील बरतने की मूड में नहीं है। खोरी गांव के दस हजार अवैध मकान हटाने के लिए सात जून को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन खोरी पर पूरी तरह नजर बनाए हुए है, लेकिन जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की रणनीति है कि लोगों के सामान का नुकसान ना हो इसके लिए लोगों को अपना सामान खुद ही लेकर जाने की मोहलत दी जा रही है। छह सप्ताह में अवैध निर्माण साफ करके अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।
सूत्रों के मुताबिक नगर निगम का दस्ता सूरजकुंड शूटिंग रोड के साथ बने अवैध निर्माण को हटाने से अभियान शुरू कर सकता है। दरअसल, इस इलाके के काफी लोग घर खाली कर चुके हैं। अप्रैल में भी यहां तोड़फोड़ की गई थी।
आरआरबी की तीन बटालियन बुलाई
पुलिस ने सुरक्षा को लेकर जहां फरीदाबाद पुलिस की लंबी-चौड़ी फौज को तैयार किया हुआ है। आरआरबी की तीन बटालियन भी बुलाई गई हैं। पुलिस प्रशासन के अधिकारी खोरी के मामले में शांति तरीके से खोरी क्षेत्र को खाली कराने में जुटे हैं, ताकि प्रशासन को बिना किसी विवाद के तोड़फोड़ करने में किसी प्रकार की परेशान नहीं उठानी पड़े।
बुजुर्ग की आत्महत्या के बाद पुलिस अलर्ट
खोरी गांव में बुधवार को बुजुर्ग की आत्महत्या के बाद लोगों के बीच बने तनाव को देखते हुए सूरजकुंड इलाके में पुलिस अलर्ट कर दी है। खोरी के चारों ओर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। महिला पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गई है। सुरजकुंड पर्यटन स्थल में प्रवेश करने वाले सिल्वर जुबली मुख्य गेट के सामने पुलिस के जवानों से भरी अनेक बसें खड़ी थी। पीसीआर सहित निजी वाहनों में पुलिस के जवान यहां गश्त करे रहे।
बुजुर्ग गणेशीलाल की आत्महत्या के बाद खोरी गांव में पुलिस का गश्त पहले के मुकाबले कम देखने को मिला। दिल्ली पुलिस के सहयोग से एक दिन पहले मंगलवार को खोरी गांव में लोगों के बिजली कनेक्शन काटने पहुंची दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली टीम बुधवार को खोरी गांव में दिखाई नहीं दी।
दस्तावेज एकत्रित करने में जुटे लोग
दिल्ली की बिजली कंपनी द्वारा मंगलवार को बिजली कनेक्शन काटने को लेकर लोग कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बिजली कंपनी के बिजली के बिल सहित दिल्ली सरकार के सभी वैध दस्तावेज होने के बाद भी बिजली कनेक्शन काटने को लोग गैर कानूनी कदम बता रहे हैं। अरसद, नेताराम का कहना है कि बिजली काटने के मामले में वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए सरकारी दस्तावेज एकत्रित किए जा रहे हैं।
बिजली-पानी के बिना खोरी के लोगों की परेशान बढ़ी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अवैध मकानों को तोड़ने से पहले जिला प्रशासन की तरफ से खोरी गांव की काटी गई बिजली और पानी सप्लाई बंद करने से भीषण गर्मी में हजारों लोगों का जीना मुहाल हो रहा है। खाना बनाने से लेकर नहाने तक के जरूरी काम भी बिजली और पानी के बिना लोग नहीं कर पा रहे हैं। मानवीय आधार पर यहां जिला प्रशासन, सामाजिक संस्था और विपक्षी राजनीतिक दलों की तरफ से भी संबंधित मूलभूत सुविधा मुहैया नहीं करवाई जा रही हैं। ऐसी स्थिति में मरीज, बच्चे, बुजुर्गों को लेकर परिवार के बाकी सदस्य चिंता में हैं। बुधवार को लोग दिनभर पानी का बंदोबस्त करने के लिए इधर उधर भागते रहे।
पानी-बिजली बंद होने से बढ़ रहा तनाव
खोरी गांव में मकान टूटने के खौफ के बीच बिजली और पानी की सप्लाई बंद होने से लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है। यहां लोगों के व्यवहार में व्यवहार दिखाई दे रहा है। मकान टूटने की सूचना के बाद तनाव में आकर बुजुर्ग गणेशीलाल की आत्महत्या को लोग इसी बदलाव की मुख्य वजह बता रहे हैं। दस साल से रह रहे राकेश ने बताया कि हर तरफ से मायूस करने वाली खबरें आ रही हैं, लोगों से बात करने के लिए जिला प्रशासन, राजनीति दलों की तरफ से कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। सुबह से लेकर शाम तक यहां मकान टूटने के खौफ में रहते हैं। पेड़ के फंदा लगाकर आत्महत्या करने वाले गणेशीलाल के बेटे राजेश और उनकी पत्नी ने बताया कि लोगों को कुछ रास्ता नहीं सूझ रहा है कि वे इस परिस्थितियों में क्या करें, क्योंकि प्रशासन हर रोज नए कदम उठाकर लोगों की समस्या बढ़ता जा रहा है। इससे लोग तनाव में होते जा रहे हैं। उनके पिता की मौत इस तनाव का प्रमाण है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बढ़ते इस तनाव को कम नहीं किया तो लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ेंगी। उन्हें चिंता है कि उनके पिता की तरह कोई अन्य व्यक्ति कदम न उठा ले।
मोबाइल टावर हटने से अपनों से टूटा संपर्क
खोरी गांव के दस हजार अवैध मकानों को तोड़ने के लिए लोगों पर खुद ही मकान खाली करके चले जाने की रणनीति पर काम करते हुए जिला प्रशासन आए दिन लोगों पर दबाव बनाने के लिए कदम उठाता जा रहा है। पानी-बिजली कनेक्शन कटने के साथ-साथ यहां लगे मोबाइल के टावरों का भी कनेक्शन काट दिया गया। इसकी वजह से लोगों के मोबाइलों का नेटवर्क कमजोर हो गया है। जितेंद्र का कहना है कि वे मूलरूप से बिहार के रहने वाले हैं। जब से मकान टूटने की खबर आई है तभी से उनके परिजन बिहार से उनके संपर्क करके हर रोज अपडेट लेते हैं। इसके अलावा दोस्त भी संपर्क में रहकर हालचाल पूछते रहते हैं, लेकिन मोबाइल टावर बंद करने, बिजली बंद करने के बाद अपनों से भी संपर्क टूटता जा रहा है।
महिलाओं की बढ़ रही ज्यादा परेशानी
वैसे तो बिजली-पानी के बिना खोरी गांव के सभी लोगों की परेशानी बढी हुई है, लेकिन महिला ज्यादा परेशान हैं। सुनीता, अनीता, रुबीना आदि का कहना है कि सुबह से लेकर शाम तक महिला के लिए घर में जो भी काम हैं, वे बिजली और पानी पर ज्यादा आधारित हैं। उन्होंने बताया कि पानी नहीं होने की वजह से एक काम नहीं हो पा रहा है। परिवार को खाना बनाकर देने से लेकर उनके कपड़ों की धुलाई मुख्य काम नहीं होने से सभी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को भी साफ-सफाई रखने के लिए पानी की जरूरत होती है। मगर ऐसी स्थिति में अब लोगों की सेहत पर असर पड़ने लगा है। अगर समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया तो अनेक बीमारियों की चपेट में महिला भी आ सकती हैं।
मकान टूटने से पहले पुनर्वास चाहते हैं लोग
गांव के लोग इन दिनों मकान टूटने के खौफ में हैं। लोगों को चिंता सता रही है कि मकान टूटने के बाद वे कहां जाएंगे, उनके पास किराये पर मकान लेने के लिए ना पैसा है और न ही कोई विकल्प। ऐसे में कोरोना और भीषण गर्मी में बच्चे, महिला और बुजुर्गों को लेकर कहां जाएंगे। यह चिंता उनको सता रही है। लोगों की एक ही मांग है कि सरकार उनका मकान तोड़ने से पहले उनके पुनर्वास का बंदोबस्त करे। स्थानीय निवासी शहीद खान का कहना है कि जिंदगी की सारी जमा पूंजी यहां घर बनाने में लगा दी। अगर हमारा मकान टूटता है तो हमारे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है। किराये मकान लेने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
क्या कहते हैं लोग
”हम काफी वर्षों से यहां रह रहे हैं। अचानक सरकार ने कह दिया कि मकान खाली कर दो। अब आप ही बताएं ऐसे में कहां जाएं। एक तरफ कोरोना और दूसरी तरफ भीषण गर्मी।” -पूजा, खोरी निवासी
”सरकार हमारे मकान तोड़ने से पहले हमारे बसाने का बंदोबस्त करे, क्योंकि मकान टूटने के बाद हम परिवार को लेकर कहां जाएं, कोरोना में रोजगार नहीं। किराये के लिए पैसे नहीं हैं।” – फैजल, खोरी निवासी
”खोरी गांव के लोगों की एक ही मांग है कि उनके मकान तोड़ने से पहले उनका पुनर्वास किया जाए। लोगों ने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर उसका पैस यहां लगा दिया। अब हमारे पास कुछ नहीं है।” -मोहम्मद यूनुस, खोरी निवासी