अयोध्या में जमीन सौदा विवाद को लेकर शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में आक्रामक टिप्पणी के खिलाफ बुधवार को भाजपा की युवा शाखा द्वारा निकाले गए विरोध मार्च के दौरान दादर इलाके में शिवसेना और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। कभी सहयोगी रहे दोनों दलों के समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। बाद में आरोप लगाया गया कि शिवसेना कार्यकर्ताओं ने भाजपा की एक महिला सदस्य के साथ मारपीट की।
संकट तब शुरू हुआ जब भारतीय जनता युवा मोर्चा ने ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय को लेकर दादर में शिवसेना भवन की ओर विरोध मार्च निकाला। संपादकीय में अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा ‘संदिग्ध भूमि खरीद सौदे’ की जांच की मांग की गई है। ट्रस्ट ने हालांकि इन आरोपों से इनकार किया है।
एक अधिकारी ने बताया कि झड़प के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया, लेकिन देर शाम तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया था।
भाजपा नेता आशीष शेलार, मंगल प्रभात लोढ़ा, प्रवीण दारेकर समेत अन्य लोग थाने पहुंचे और शिवसेना कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री शेलार ने भविष्य में कड़ी जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘मैं शिवसेना कार्यकर्ताओं को चेतावनी देता हूं कि अगर उन्होंने फिर से हमारे कार्यकर्ताओं पर हमला किया तो जवाबी कार्रवाई की जाएगी।’ उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मौजूदगी में भाजपा की एक महिला समर्थक पर भी हमला किया।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ शिवसेना के गठबंधन पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, ‘शिवसेना को कभी बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर गर्व था, लेकिन अब राजनीतिक कारणों से वह भगवान राम को बदनाम कर रही है। सोनिया या वाद्रा (कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा) अब शिवसेना के भगवान बन गए हैं।’
शिवसेना विधायक सदा सर्वंकर ने कहा, ‘हमें पहले बताया गया था कि भाजपा कार्यकर्ता विरोध करने आ रहे हैं, बाद में हमें पता चला कि वे सेना भवन में तोड़फोड़ करने आ रहे हैं। इसलिए इसके पास पहुंचने से पहले ही हमने उन्हें रोक दिया।’ भाजपा समर्थक अक्षदा तेंदुलकर ने आरोप लगाया कि जब वह विरोध प्रदर्शन के बाद अपने वाहन के पास लौट रही थीं, तो अचानक शिवसेना कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया और पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं किया। घटना के बाद शिवाजी पार्क पुलिस थाने में दो मामले दर्ज किए गए।
पुलिस ने बताया कि 30 व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक के वैध आदेश की अवज्ञा) और 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की आशंका) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई। सात लोगों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी ढंग से एकत्र होने और हमले से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत एक अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई है।