गैर पीडीएस श्रेणी यानी राशन कार्ड के बगैर अनाज मुहैया कराने के लिए लाभार्थियों की सीमा 20 लाख सीमित किए जाने संबंधी दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में योजना के तहत लाभार्थियों की सीमा तय करने के बजाए सभी जरूरतमंदों को अनाज मुहैया कराने का आदेश देने की मांग की गई है। जस्टिस नवीन चावला और आशा मेनन की अवकाशकालीन पीठ ने गैर सरकारी संगठन दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान की अर्जी पर यह आदेश दिया है।
संगठन ने अर्जी में दिल्ली सरकार को 27 मई को जारी दिशा-निर्देश में संशोधन करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि लोगों को सिर्फ एक बार अनाज नहीं मिलनी चहिए बल्कि लाभार्थियों को अगले आदेश तक हर महीने अनाज देने का आदेश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कई केंद्रों पर गैर पीडीएस लाभार्थियों को अनाज देने बंद कर दिए हैं। याचिका में योजना के तहत लाभार्थियों की 20 लाख सीमा तय किए जाने को मनमाना बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि लभार्थियों की सीमा का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। याचिका में कहा गया कि कोरोना की पहली लहर में हाईकोर्ट के आदेश पर 69.6 लाख ऐसे लोगों को अनाज मुहैया कराया गया था जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे। इन लोगों ने ई-कूपन के तहत पंजीकरण कराया था।