जानवर से रोग फैलने के खतरे को देखते हुए अब अमेरिका ने 100 से ज्यादा देशों से अपने यहां कुत्ते लाए जाने पर पाबंदी लगा दी है। यह वैसे देश हैं जहां रेबीज अभी भी एक समस्या बनी हुई है। यह प्रतिबंध 14 जून से लागू हो गया है। अमेरिका के वेटनरी मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, Douglas Kratt ने सरकार के इस फैसले की सराहना की है।
Douglas Kratt ने कहा कि ‘ हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम दूसरे देशों से स्वस्थ कुत्तों को हीं देश में आने दें, खासकर वैसे कुत्ते जिन्हें पालतू बनाया जाना है।’ यह प्रतिबंध देश में कुत्तों को लाने और किसी देश के कुत्ते को वापस करने दोनों ही परिस्थिति में लागू है।
इस संबंध में अमेरिकी अधिकारियों ने जानकारी दी है कि हर साल करीब 1 मिलियन कुत्ते यूएस में लाए जाते हैं। हाल ही में रूस, यूक्रेन और कोलंबिया से लाए गए कुत्तों को रिजेक्ट कर दिया गया था। इनमें से कई कुत्तों का प्रवेश अमेरिका में इसलिए प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि इनको लाए जाने से संबंधित कागजात सही नहीं थे। कागजों पर यह बताया गया था कि इन कुत्तों की उम्र 4 महीने से ज्यादा है।
4 महीने से ज्यादा के कुत्तों में रेबीज का वैक्सीन ज्यादा असरदार नहीं होता है। रेबीज जानवरों और इंसानों को होने वाली एक घातक बीमारी है। यह बीमारी एक वायरस से फैलती है जिसका इंसान या जानवर के नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। यह ज्यादातर रेबीज से ग्रसित जानवर के काटने से फैलता है। यह वायरस इतना खतरनाक है कि अगर इसके लक्षण शुरू हो जाए तो इसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल है जबकि समय रहते वैक्सीनेशन के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
साल 1970 से 1988 के बीच यूएस में कुत्तों को वैक्सीन दिया गया था। इसके बाद मैक्सीको में कुत्तों में एक नया तरह का रेबीज वायरस नजर आया था। यह वायरस काफी तेजी से फैला था और इसे कंट्रोल करने में करीब 19 साल लग गए थे।
बताया जा रहा है कि Covid-19 महामारी के फैलने के बाद अमेरिका में कुत्तों की डिमांड बढ़ी थी। यहां कोरोना से लड़ाई के दौरान कुत्तों को वैक्सीनेशन देने की गति पर भी ब्रेक लग गया था। यहीं वजह से दूसरे देशों से लाए जाने वाले कुत्तों के प्रवेश को फिलहाल यूएस में रोका जा रहा है ताकि रेबीज को लेकर नई तरह की मुसीबत ना खड़ी हो जाए।