शामिल हैं। अब चिराग पार्टी में बिल्कुल अकेले रह गए हैं।लोजपा के छह में पांच सांसदों की बगावत से बैकफुट पर आए चिराग पासवान विवाद के बीच अपने चाचा और बागी सांसदों के नेता पशुपति कुमार पारस के नई दिल्ली स्थित घर पहुंचे। चिराग के हाथ में पट्टी बंधी हुई थी। वह खुद गाड़ी ड्राइव कर वहां पहुंचे थे लेकिन करीब 20 मिनट तक एंट्री नहीं मिल सकी। इस दौरान चिराग हार्न पर हार्न बजाते रहे। तब जाकर गेट खुला लेकिन करीब डेढ़ घंटे इंतजार के बाद भी चाचा पशुपति कुमार पारस से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। निकलते समय चिराग से मीडिया ने कई सवाल किए लेकिन उन्होंने चुप्पी साधे रखी। किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ताजा हालात में चिराग राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार हो गए थे। वह नया दांव चलते हुए अपनी मां रीना पासवान को लोजपा की कमान सौंपने का प्रस्ताव लेकर अपने चाचा के पास पहुंचे थे। लेकिन चिराग जब पारस के आवास पर पहुंचे, तब तक पारस और प्रिंस राज बैठक के लिए निकल चुके थे। चिराग अपनी चाची यानी परस की पत्नी के पास करीब डेढ़ घंटे तक बैठे रहे। उन्हें उम्मीद कि चाचा शायद घर लौटेंगे और उनसे मुलाकात होगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।
गौरतलब है कि लोक जन शक्ति पार्टी के पांच सांसदों ने चिराग पासवान से किनारा बना लिया है। इससे बिहार की राजनीति में भूचाल सा आ गया है। छह में से पांच सांसदों की बगावत पर उनके चाचा ने कहा है कि सभी चाहते थे कि लोजपा एनडीए में बनी रहे और साथ मिलकर ही चुनाव लड़े लेकिन कुछ लोगों के प्रभाव में चिराग ने इसके विपरीत निर्णय लिया।
रविवार को सामने आई थी बगावत
गौरतलब है कि रविवार को पशुपति पारस के नेतृत्व में पार्टी के 6 सांसदों में से 5 सांसदों ने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर दी थी। सोमवार को चिराग को हटाकर पशुपति पारस पासवान को संसदीय दल का नया नेता चुन लिया गया है। चाचा के इस कदम के बाद लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं। बागी सांसदों ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष मानने से भी इनकार कर दिया है। जिन पांच सांसदों ने चिराग से अलग होने का फैसला लिया है उनमें पशुपति पारस पासवान (चाचा), प्रिंस राज (चचेरे भाई), चंदन सिंह, वीणा देवी, और महबूब अली केशर शामिल हैं। अब चिराग पार्टी में बिल्कुल अकेले रह गए हैं।