हाईकोर्ट न्यायाधीशों के खाली पदों को भरने की सुगबुगाहट के बीच सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने महिला वकीलों सहित अपने अन्य सदस्यों को हाईकोर्ट न्यायाधीश बनने के प्रस्ताव को देश के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की सहमति मिलने का दावा किया है। लेकिन अब इसको लेकर विरोध के सुर भी उठने लगे हैं। राजस्थान में वकीलों ने विरोध को लेकर मंथन करना शुरू कर दिया है। इधर सीजेआई कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से प्रस्ताव मिलने की बात तो स्वीकार की है, लेकिन प्रस्ताव पर सर सहमति की पुष्टि नहीं की है।
राजस्थान बार काउंसिल की ओर से इस मुद्दे पर मंथन शुरू कर दिया गया है। उधर हाईकोर्ट न्यायाधीश के पद पर सेवानिवृत न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जा चुके अधिवक्ता सुनील समदडिया ने इस मुद्दे को लेकर अदालती फैसले का हवाला देते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को विरोध पत्र भी लिखा है।
हाईकोर्ट में न्यायाधीश के 50 में से 27 पद खाली
उल्लेखनीय है कि राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश के 50 में से 27 पद खाली हैं। देश के अन्य हाईकोर्ट में भी न्यायधीश का पद खाली है। इस बीच पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमण ने हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीशों को खाली पदों के लिए एसओपी के अनुसार नाम भेजने के लिए पत्र लिखा है। अब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की ओर से 31 मई को एसोसिएशन के सदस्यों को दी गई विवादित सूचना सामने आई है। इसमें विकास सिंह की ओर से कहा गया है कि एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली महिला वकीलों सहित अन्य वकीलों को हाईकोर्ट न्यायाधीश बनने के प्रस्ताव को चीफ जस्टिस ने मान लिया है।
उधर, राजस्थान बार काउंसिल के सदस्य और काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि ‘इस मामले को लेकर साधारण सभा की बैठक बुलाने की मांग की जाएगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के वकील राजस्थान हाईकोर्ट में पैरवी ही नहीं करते है तो यहां हाईकोर्ट कॉलेजियम उनकी योग्यता का पता कैसे लगाएगी। सुप्रीम कोर्ट वकीलों को हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनाया गया तो हाईकोर्ट कॉलेजियम का महत्व ही नहीं रहेगा।’