कोरोना की दूसरी लहर कमजोर हुई है लेकिन तीसरी लहर की चेतावनी के साथ। ऐसे में जरूरी है कि दूसरी लहर की खामियों से सबक लेकर तीसरी की एडवांस तैयारी की जाए। दूसरी लहर के दौरान सफल प्रयोगों को मॉडल की तरह भविष्य में इस्तेमाल किया जाए। ऐसा ही एक मॉडल बना है मध्य प्रदेश का खंडवा जिला जिसके डीएम अनय द्विवेदी ने मात्र दो दिनों में ऑक्सीजन की प्रति घंटा खपत को 80 सिलिंडर से 20 पर ला दिया। खंडवा के इस मॉडल की सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कई बार तारीफ की है और दूसरे जिलों को इससे सीख लेने की सलाह दी है।
दूसरी लहर में कोरोना के काफी मरीजों की मौत अस्पताल में बेड मिलने और बिस्तर तक पहुंचने के बाद भी हो गई क्योंकि देश भर में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो गई। कोरोना के मरीज काफी तेजी से बढ़े और उनमें बहुत ऐसे थे जिनको ऑक्सीजन की जरूरत थी। दिल्ली से लेकर देश के दूसरे राज्यों में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मच गया। ऑक्सीजन की कालाबाजारी होने लगी और एक-एक सिलिंडर 50 हजार तक में बिका। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक ऑक्सीजन पर सरकार से जवाब मांगा गया और हालात काबू करने में काफी दिन लग गया। ऐसे में खंडवा में ऑक्सीजन आपूर्ति और खपत के किफायती मॉडल की चर्चा हो रही है। डीएम अनय द्विवेदी ने हिंदुस्तान से बातचीत में कहा कि इमरजेंसी में भी प्रशासन हालात को संभालने में इसलिए कामयाब रहा क्योंकि मेडिकल स्टाफ, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और सिविल सोसाइटी संगठनों के बीच शानदार तालमेल था। खंडवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में 14 अप्रैल को जब 352 मरीज भर्ती थे तब मरीजों का ऑक्सीजन फ्लो मेडिकल जरूरत के बदले कई बार पेशेंट और स्टाफ के व्यवहार से तय होता था। फिर मरीज बढ़े, प्रेशर और बढ़ा, और ऑक्सीजन घटने लगा. मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में सेंट्रलाइज्ड पाइपलाइन, टाइप डी से लेकर टाइप बी तक के सिलिंडर खाली होने लगे। ऑक्सीजन की खपत बढ़कर 136 टाइप डी सिलिंडर प्रति घंटे तक पहुंच गई। ऑक्सीजन के लिए देश भर में मचे हाहाकार के बीच डीएम अनय द्विवेदी ने ऑक्सीजन की डिमांड, सप्लाई और वेस्टेज का अध्ययन किया। फिर द्विवेदी ने ऑक्सीजन की खपत कम करने और उपलब्ध ऑक्सीजन से मरीजों का इलाज करने की तरकीब निकाली.
ऑक्सीजन की जरूरत के आधार पर मरीजों की कैटेगरी और उनका अलग फ्लोर
डीएम अनय द्विवेदी ने मेडिकल टीम के साथ मिलकर मरीजों की ऑक्सीजन जरूरत को समझा और उनको छह कैटेगरी में बांटकर अलग-अलग चार फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया। मरीज की कैटेगरी मेडिकल टीम की सलाह पर बदलती थी तो उसका फ्लोर भी बदल जाता था. पहली कैटेगरी में वो थे जिनको ऑक्सीजन की कोई जरूरत नहीं थी. इनको पांचवीं मंजिल पर शिफ्ट कर दिया गया और वहां पाइपलाइन का ऑक्सीजन सप्लाई काट दिया गया। 1 से 5 लीटर प्रति मिनट वाले मरीजों को चौथी मंजिल पर रखा गया जिनके लिए कंस्ट्रेटर लगाया गया. पाइपलाइन से ऑक्सीजन सप्लाई यहां भी रोक दी गई।
5 लीटर से 15 लीटर प्रति मिनट फ्लो वाले मरीजों को तीसरे फ्लोर पर रखा गया। यहां पाइपलाइन के साथ-साथ टाइप बी सिलिंडर से मरीजों को ऑक्सीजन दिया गया। आईसीयू और बाकी सीरियस मरीजों को दूसरी मंजिल पर रखा गया। पहले मरीज खुद ही फ्लो बढ़ा लेते थे जिसे रोका गया। ऑक्सीजन की समुचित खपत के लिए बैंस सर्किट समेत अन्य तकनीकी उपाय किए गए। बैंस सर्किट लगाने से कई मरीजों की खपत 20-25 लीटर प्रति मिनट से घटकर 5-10 लीटर प्रति मिनट तक आई। ऑक्सीजन की जरूरत और खपत की मरीजवार निगरानी की गई और हर आधे घंटे पर ऑक्सीजन के स्टॉक और खपत का रिपोर्ट बनवाया गया। मरीजों को योग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराया गया जिसका परोक्ष असर ऑक्सीजन मैनेजमेंट में मिला। डीएम ने कहा कि ऑक्सीजन के उपयोग को सही करने से कोरोना मरीजों का ट्रीटमेंट लोड खंडवा में घटा क्योंकि खंडवा से दूर के स्वास्थ्य केंद्र पर भी ऑक्सीजन बेड उपलब्ध थे।