बिहार की राजधानी पटना में सियासी हलचल तेज हो गई है। पिछले कुछ दिनों से बीजेपी और एनडीए को लेकर हमलावर पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनमांझी से मिलने के लिए राजद नेता तेजप्रताप यादव उनके आवास पर पहुंचे। इस मुलाकात को लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि इस मुलाकात से पहले आज सुबह ही एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए तेजप्रताप ने कहा कि मांझी जी का मन यदि डोल रहा है तो राजद का दरवाजा उनके लिए खुला है वे यहां आ जाएं।
उधर, इस मुलाकात के बाद जीतनराम मांझी ने कहा कि उनकी तेजप्रताप से कोई राजनीतिक बात नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के 74 वें जन्मदिन पर उन्होंने बधाई दी थी। उन्होंने लालू जी के अच्छे स्वास्थ्य और दीघार्यु होने की कामना की है। उन्होंने कहा कि जहां तक इस मुलाकात की बात है तो कोई राजनीतिक बात नहीं हुई है। सिर्फ संगठन और युवाओं के बारे में बात हुई। केवल पारिवारिक बात हुई है। इस दौरान तेजप्रताप यादव ने कहा,’ये कोई नई बात नहीं है कि अंकल जी से हम मिले हैं। हम लगातार इनसे मिलते और मार्गदर्शन लेते है। इधर कोरोना की वजह से काफी दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी तो हमने सोचा कि मुलाकात करें। हमारे बीच पारिवारिक सम्बन्ध हैं। लॉकडाउन खुला तो यूं ही मिलने चले आए। इसमें कोई राजनीतिक बात नहीं है।’
क्या खिचड़ी पका रहे हैं मांझी
इधर पिछले एक हफ्ते से जीतनराम मांझी जिस तरह से भाजपा और एनडीए को लेकर हमलावर हुए हैं उससे पटना के राजनीतिक गलियारों में कयास लग रहे हैं कि क्या मांझी कोई राजनीतिक खिचड़ी पका रहे हैं। पिछले मंगलवार को श्री मांझी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को उनकी शादी की 48वीं सालगिरह की भी बधाई दी थी। गौरतलब है कि हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) एनडीए का अंग है। इसके बावजूद मांझी के रुख से राजनीतिक हलचल तेज हुई है।
उन्होंने गत 24 मई को ट्वीट कर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। तल्ख टिप्पणी की थी कि टीकाकरण के प्रमाणपत्र पर तस्वीर लगाने का इतना ही शौक है तो कोरोना से मरने वाले के डेथ सर्टिफिकेट में भी इनकी तस्वीर होनी चाहिए। इसके एक दिन पहले 23 मई को उन्होंने कहा था कि देश में संवैधानिक संस्थाओं के सर्वेसर्वा राष्ट्रपति होते हैं तो कोरोना के प्रमाणपत्र पर भी उन्हीं की तस्वीर होनी चाहिए, ना कि प्रधानमंत्री की।
29 मई को श्री मांझी के आवास पर जाकर उनसे वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी मिले थे। मुलाकात के दौरान सहनी ने श्री मांझी की उस मांग का समर्थन किया था, जिसमें उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह माह बढ़ाने की बात कही थी। सरकार में रहते हुए इन दोनों की यह सार्वजनिक मांग भी राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बनी। मालूम हो कि इन दोनों नेताओं की पार्टियां बिहार में एनडीए सरकार की अंग हैं। दोनों के एक-एक मंत्री हैं। हालांकि श्री मांझी ने मंगलवार को परामर्शी समिति से पंचायतों का कार्य कराने के निर्णय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया था। एनडीए के तमाम नेता भले ही यह दावा कर रहे हैं कि जीतन राम किसी और के ‘मांझी’ नहीं बनेंगे, लेकिन जानकारों का तर्क है कि मांझी की सियासी उड़ान भरने की महत्वाकांक्षा जगजाहिर है।