उत्तर-पूर्वी दिल्ली मेंं भड़के साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े हत्या के एक मामले के दो आरोपियों को अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने गुरुवार को आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इन पर लगे आरोप बेहद गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने मृतक दिलबर नेगी की हत्या के दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की है। नेगी का शव मिठाई की स्थानीय दुकान में जला हुआ मिला था। अदालत ने इस मामले में कहा कि आरोप-पत्र, अभियोजन एवं बचाव पक्ष द्वारा कोर्टरूम में चलाई गई सीसीटीवी फुटेज और वीडियो फुटेज पर भरोसा जताया। इस याचिका को खारिज करने के लिए यह पर्याप्त आधार है।
अदालत ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि आरोपी गैरकानूनी तौर पर एकत्रित भीड़ का हिस्सा थे जो उस गोदाम को आग लगाने की जिम्मेदार थी जिसमें मृतक दिलबर नेगी मौजूद था। अदालत ने कहा कि दोनों आरोपी सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट तौर पर उत्तेजित मुद्रा में अपने हाथों में एक छड़ लिए हुए और दंगाई भीड़ के अन्य सदस्यों को उकसाते हुए दिख रहे हैं।
न्यायाधीश ने कहा कि यह भी साफ है कि घातक हथियारों से लैस दंगाई भीड़ ने तोड़-फोड़ और लूट की और उनका मुख्य उद्देशय दूसरे समुदाय के लोगों की जिंदगियों एवं संपत्तियों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना था। एकत्रित भीड़ का व्यवहार बताता है कि उस समय वहां का मंजर कितना भयावह होगा। लोगों में भय का माहौल उत्पन्न करने एवं हत्या करने के आरोपी जमानत पाने के हकदार नहीं है।
पेश मामले में दिल्ली पुलिस के मुताबिक, पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दो सम्प्रदायों के बीच हुए दंगों में एक खास समुदाय के दंगाइयों ने शिव विहार में अनिल मिठाई भंडार की दुकान को आग के हवाले कर दिया था जिसके चलते 20-22 साल के युवक दिलबर नेगी की जलकर मौत हो गई।