पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी की जीत के बाद से नेताओं के दलबदल और घर वापसी का सिलसिला जारी है। तृणमूल छोड़ हाल में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने वाले प्रबीर घोषाल के सुर भी अब बदले हुए नजर आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा में तृणमूल से विधायक रह चुके घोषाल भाजपा में रहकर अचानक ही तृणमूल नेताओं का गुणगान कर रहे हैं।
दरअसल हाल में प्रबीर घोषाल की माता का निधन हुआ था जिसके बाद तृणमूल के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उनकी खबर ली। हालांकि प्रबीर का आरोप है कि इस दुख की घड़ी में भाजपा से कोई उनके घर झांकने तक नहीं आया।
दुख में BJP से कोई झांकने नहीं आया
घोषाल ने शनिवार को भाजपा के प्रति “नाखुशी” जाहिर करते हुए कहा, “हाल ही में, मेरी मां का निधन हुआ सांसद कल्याण बंदोपाध्याय और विधायक कंचन मलिक ने मुझे फोन किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी शोक संदेश भेजा। स्थानीय तृणमूल कार्यकर्ताओं में से कई श्मशान घाट भी गए थे। हालांकि भाजपा के केवल कुछ स्थानीय लोगों ने ही संवेदना जताई। मेरे साथ भाजपा में शामिल होने वाले सुवेंदु अधिकारी, राजीब बनर्जी ने जरूर मेरी खबर ली, लेकिन मूल भाजपा नेतृत्व की ओर से किसी का फोन तक नहीं आया। मैं थोड़ा उदास और निराश महसूस कर रहा हूं।”
एक-एक कर TMC में घर वापसी की कोशिश
बता दें कि टीएमसी छोड़कर बीजेपी में गए कई नेता अब तृणमूल में लौटने की इच्छा दिखाने लगे हैं। बंगाल विधानसभा की पूर्व डिप्टी स्पीकर सोनाली गुहा ने हाल ही में कहा था कि वह टीएमसी में वापस जाना चाहती हैं। वहीं टीएमसी छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले दो और नेताओं ने ममता बनर्जी के पाले में आने की बात कही है। मालदा जिला परिषद की सदस्य सरला मुर्मू का कहना है कि उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है और वह अब वापस आना चाहती हैं। उनके अलावा उत्तर दिनाजपुर से पूर्व विधायक अमोल आचार्य की बात करें तो इस बार उन्हें नामांकन से रोक दिया गया था। इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था, वहां भी उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। अब वह एक बार फिर से टीएअसी में वापस आने की तैयारी में हैं। आचार्य ने कहा, ‘मैंने हमेशा ममता बनर्जी को अपना लीडर माना है। लेकिन मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि मुझे नॉमिनेशन से रोक दिया जाएगा। मैं इस बात से दुखी था और बीजेपी में चला गया था। यह मेरी गलती थी।