‘नया पाकिस्तान’ का नारा देकर सत्ता की कुर्सी पर आए इमरान खान ने देश को तो तंगहाल बनाया ही है, साथ ही पड़ोसियों से रिश्तों को भी बिगाड़ दिया है। इसका नतीजा यह है कि बार-बार शरण में जाने के बाद भी चीन को छोड़कर पाकिस्तान की मदद को अब कोई आगे नहीं आ रहा है। हाल ही में सऊदी अरब की यात्रा पर गए इमरान खान जब पाकिस्तान वासस लौटे तो लगा कि सब ठीक हो गया है। मगर अब पता चला है कि इमरान खान सऊदी से खाली हाथ ही लौटे थे। कारण कि पाकिस्तान में एक रिफाइनरी में सऊदी अरब के निवेश के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। इसकी वजह है कि रियाद और इस्लामाबाद के बीच संबंधों में हाल के दिनों में में गिरावट आई है।
द न्यूज इंटरनेशनल से बात करते हुए पावर और पेट्रोलियम पर प्रधान मंत्री इमरान खान के विशेष सहायक ताबीश गौहर ने कहा है कि सऊदी अरब ग्वादर में रिफाइनरी स्थापित नहीं करेगा, लेकिन बलूचिस्तान के हब में या कराची के पास एक पेट्रोकेमिकल रासायनिक परिसर के साथ एक रिफाइनरी स्थापित करने का संकेत दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की कंपनी अरामको की ओर से इसे लेकर कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है कि कच्चे तेल के प्रति दिन 250,000 बैरल को परिष्कृत करने की क्षमता वाली गहरी रूपांतरण रिफाइनरी (डीप कनवर्जन रिफाइनरी) कब और कहां स्थापित की जाएगी।
ताबीश गौहर ने कहा कि अरामको ने रिफाइनरी स्थापित करने को लेकर एक फिजिबिलिटी रिपोर्ट की है, जिसके अनुसार उसने पाया कि ग्वादर में रिफाइनरी स्थापित करना संभव नहीं है। हालांकि, उसने कहा कि अगले पांच वर्षों में बलूचिस्तान के हब या कराची के पास एक और रिफाइनरी स्थापित की जा सकती है। दरअसल, 2019 में सऊदी अरब ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में 20 बिलियन अमरीकी डालर के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और इस राशि से ग्वादर में रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परिसर में 10 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश करने की घोषणा की थी।
आधिकारिक सूत्रों का हवाला देते हुए द न्यूज इंटरनेशनल ने बताया कि हाल के दिनों में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच तेल सुविधा वापस ले ली गई थी। बताया जाता है कि उस समय सऊदी अरामको ने पाकिस्तान के अधिकारियों को इमरान खान से रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना के निर्णय पर शीर्ष सऊदी नेतृत्व से संपर्क करने के लिए कहने का संकेत दिया था।
हालांकि, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने तब सुझाव दिया था कि देश की विदेश नीति की वजह से ठंडे हो चुके संबंधों के कारण परियोजना पर सऊदी अरब के नेता मोहम्मद बिन सलमान से संपर्क करने का यह सही समय नहीं है। बता दें कि सऊदी से बिगड़े रिश्ते को ठीक करने के मकसद से ही इमरान खान सलमान की शरण में पहुंचे थे, मगर रिफाइनरी को लेकर वहां कोई बात नहीं हुई। यही वजह है कि यह प्रोजेक्ट अटका पड़ा है।
इमरान के करीबी तबीश गौहर ने कहा कि इमरान खान की सऊदी अरब की हालिया यात्रा के बाद रिफाइनरी को लेकर किसी भी विकास के बारे में पेट्रोलियम डिवीजन को कुछ भी नहीं बताया गया है। हालांकि, उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान का वित्त विभाग तेल सुविधा की बहाली के संबंध में सऊदी अधिकारियों के संपर्क में है।