एक नए अध्ययन में विटामिन-डी को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस से बचाने में विटामिन-डी कारगर नहीं है। जबकि कोरोना महामारी की शुरुआत में एक शोध में कहा गया था कि विटामिन-डी संक्रमण से बचाती है और मौत के खतरे को कम करती है।
लेकिन अब कनाडा के क्यूबेक की मैकगिल यूनिवर्सिटी ने अपने शोध में पाया कि कोरोना संक्रमित और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में विटामिन-डी की मात्रा में कोई अंतर नहीं मिला। इसमें कहा गया है कि न ही विटामिन-डी की अधिकता के कारण मरीजों को संक्रमण से बचाया जा सकता है और न ही संक्रमण की गंभीरता में कमी आती है। यह अध्ययन पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है।
मेंडेलियन रैंडमाइजेशन प्रक्रिया का उपयोग
इस अध्ययन में 11 देशों के 4134 संक्रमित व्यक्तियों और 12,84,876 सामान्य लोगों को शामिल किया गया था। इसके बाद शोधकर्ताओं ने मेंडेलियन रैंडमाइजेशन प्रक्रिया का उपयोग करते हुए इन लोगों के विशिष्ट जीन में विटामिन-डी के स्तरों को कोरोना पर इसके प्रभाव को जांचा गया। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं की टीम यह जानना चाहती था कि विडामिन-डी का स्तर ज्यादा होने संक्रमित लोगों में कोरोना के गंभीर जोखिम को कम करता है। लेकिन इस दौरान शोधकर्ताओं को उच्च विटामिन डी के स्तर के चलते कोरोना के कम होने का कोई संकेत नहीं मिला।
महामारी की शुरुआत से ही अलग-अलग दावे
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की शुरुआत से ही शोधकर्ताओं विटामिन-डी का अध्ययन कर रहे हैं। विटामिन-डी इम्युनिटी बढ़ाने में काफी मददगार है और यह धूप के माध्यम से मिलता है।
फरवरी 2021 : यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना के शोध में बताया गया कि विटामिन-डी कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों को 60 फीसदी तक कम करती हैं।
मार्च 2021 : एक शोध में बताया गया कि धूप लेने से संक्रमित होने के जोखिम को सात फीसदी तक कम किया जा सकता है।
प्लाज्मा थेरेपी को प्रभावी नहीं होने पर हटाया गया
कोरोना की पहली लहर में संक्रमित मरीजों के लिए कारगर मानी गई प्लाज्मा थेरेपी को पिछले दिनों केंद्र सरकार ने कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से हटा दिया है। कुछ दिन पहले कोविड पर बनी नेशनल टास्क फोर्स की मीटिंग में इस पर चर्चा हुई थी जिसमें कहा गया था कि प्लाज्मा थेरेपी से फायदा नहीं होता है। कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में अभी डॉक्टर्स प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही कोविड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से एक अहम इंजेक्शन रेमडेसिविर को भी हटाने की संभावना है। सर गंगाराम अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. डीएस राणा का कहना है कि रेमडेसिविर को कोरोना के इलाज प्रोटोकॉल से हटाने पर विचार किया जा रहा है क्योंकि कोरोना के इलाज में इस के असर के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।