कोरोना महामारी के मद्देनजर राजधानी के वकीलों को ब्याज मुक्त ऋण देने की मांग पर हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। वकीलों ने महामारी के चलते अदालतों में कामकाज सीमित होने से हुई आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर 5 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त लोन देने का आदेश देने की मांग की है। याचिका में ब्याज मुक्त 5 लाख रुपये तक लोन पांच साल के लिए देने का आदेश देने की मांग की हैै।
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायूमर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय, दिल्ली सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और दिल्ली विधिज्ञ परिषद को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने लोन मांग को लेकर 14 वकीलों की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। वकीलों ने अपनी याचिका में कहा है कि दिल्ली विधिज्ञ परिषद से पंजीकृत अधिवक्ताओं को ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मुहैया कराने का आदेश देने के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की मांग है।
याचिका में कहा है कि इसके लिए अधिवक्ताओं के आवासीय पते या मतदाता पहचान पत्र को देखने के बजाए सिर्फ यह देखने का निर्देश दिएं जाएं कि वे दिल्ली विधिज्ञ परिषद से पंजीकृत हैं या नहीं। अधिवक्ता सुनील कुमार तिवारी के माध्यम से दाखिल याचिका में एक अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि वित्तीय सहायता से वकीलों को उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और सम्मान के साथ जीवित रहने और स्कूल की फीस का भुगतान करने में मदद मिलेगी। साथ कहा कि इससे वह अपना लंबित ईएमआई विभिन्न ऋण/क्रेडिट कार्ड के बिलों का भुगतान कर सकते है।
याचिका में कहा गया है कि याचिका में कहा गया है कि लंबे समय तक अदालतों में कामकाज बंद रहने से वकीलों के लिए जीवन यापन काफी संघर्षपूर्ण हो गया है। पीठ को बताया गया कि वकील अपनी बुनियादी जरूरत जैसे बच्चों के स्कूल की फीस, ईएमआई का भुगतान करने के लिए बहुत मुश्किल हो गया है। याचिका में कहा है कि आर्थिक तंगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विधिज्ञ परिषद द्वारा सहायता के तौर पर दी जा रही 10 किलोग्राम आटा, दो किलोग्राम चीनी, पांच किलो चावल अन्य जरूरतों के लिए काफी संख्या में वकीलों की भीड़ जमा हो गई थी।