दिल्ली हाईकोर्ट ने आज उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें आरोपी के अधिकारों पर विचार करके आपराधिक मामलों में रिपोर्टिंग के लिए मानक नियम बनाने, मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने और पहलवान सुशील कुमार के खिलाफ मामले में सनसनीखेज रिपोर्टिंग को रोकने की मांग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि छत्रसाल स्टेडियम में हुए झगड़े के संबंध में पहलवान सुशील कुमार खिलाफ मामले की मीडिया रिपोर्टिंग से उनके करियर तथा साख को नुकसान पहुंचा है।
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 23 वर्षीय पहलवान सागर की हत्या से जुड़े मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने और आपराधिक मामले की रिपोर्टिंग के लिए दिशानिर्देश तय करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति के लिए जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती जिसे सब जानते हैं।
चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने कहा कि एक जागरूक व्यक्ति कुमार की तरफ से दायर याचिका में दावा किया गया है कि मीडिया ने हत्या के ऐसे मामले में अपनी रिपोर्टिंग से उनकी छवि बिगाड़ी है जिसमें वह एक आरोपी हैं। कोर्ट ने कहा कि आप एक व्यक्ति के लिए जनहित याचिका दायर नहीं कर सकते। हमें एक जागरूक व्यक्ति की तरह से मुकदमे पर सुनवाई करने की कोई वजह नजर नहीं आती। इसके साथ ही कोर्ट ने कानून के एक छात्र द्वारा दायर याचिका का निस्तारण कर दिया।
दरअसल, पहलवान सागर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार से जुड़े मामले में मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने की मांग को लेकर गुरुवार को हाईकोर्ट मे एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में हाईकोर्ट से आपराधिक मामलों की मीडिया में रिपोर्टिंग के लिए दिशानिर्देश बनाने की मांग की गई थी।
आरोपी पहलवान सुशील कुमार की मां कमला देवी की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून के छात्र श्रीकांत प्रसाद ने याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता श्रीकांत प्रसाद ने कहा कि आरोपी की मां ने उन्हें याचिका दाखिल करने की सहमति दी है। याचिका में कहा गया था कि इस मामले में मीडिया में आधारहीन तथ्यों को दिखाया जा रहा है और मुकदमे का ट्रायल शुरू होने से पहले ही मीडिया मामले में अपने हिसाब से ट्रायल कर रही है। याचिका में कहा गया था कि अभी पुलिस मामले की जांच ही कर रही है, लेकिन मीडिया सुशील कुमार को हत्यारे के तौर पर दिखा रही है।
याचिका में केंद्र सरकार से मीडिया कवरेज के लिए दिशानिर्देश बनाने की मांग करने के साथ ही सुशील कुमार व अन्य के खिलाफ मॉडल टाउन थाने में दर्ज मामले में मीडिया संस्थानों को आधारहीन खबरें प्रसारित करने पर रोक लगाने का आदेश देने की मांग की गई थी। याचिका में इस बात की जांच कराने की भी मांग की गई थी कि मामले की जांच से जुड़े तथ्य मीडिया में कैसे आ रहे हैं। याचिका में कहा गया था कि जांच से जुड़े तथ्य लीक करना आरोपी के अधिकारों का हनन है।
गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने 23 मई को सुशील कुमार को हत्या के संबंध में पूछताछ के लिए छह दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था और कहा था कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर हैं और कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। आरोप है कि सुशील और उनके साथियों ने यहां छत्रसाल स्टेडियम में चार मई की रात पहलवान सागर और उसके दो दोस्तों सोनू और अमित कुमार पर कथित तौर पर हमला कर दिया था। बाद में चोट के कारण सागर की मौत हो गई थी। सुशील कुमार को साथी अजय के साथ 23 मई को बाहरी दिल्ली के मुंडका से गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले दो बार ओलंपिक पदक जीत चुके सुशील कुमार करीब तीन हफ्तों तक फरार रहे।