कोविड-19 के कारण उपजा तनाव महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहा है जिससे उनका मासिक धर्म चक्र गड़बड़ा रहा है। यही नहीं, इस महामारी की चपेट में आ चुकी महिलाओं में भी मासिक धर्म में कमी या अधिकता की समस्याएं सामने आ रही हैं।
प्रसूति रोग विशेषज्ञों और मासिक धर्म स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों के अनुसार, पिछले साल भर के दौरान इस तरह के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। राजस्थान के सीकर स्थित एस के मेडिकल कॉलेज में प्रसूति रोग विभाग में प्रिंसिपल स्पेशलिस्ट डॉ. गीता दाधीच कहती हैं कि कोविड-19 के दौरान मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं के मामले ज्यादा देखने को मिले हैं।
डॉ. दाधीच के मुताबिक, “कोविड-19 के दौरान मासिक धर्म में देरी के मामले बढ़े हैं। ज्यादा तनाव, अत्यधिक दवाओं के सेवन से हार्मोनल असंतुलन की वजह से ऐसा हो सकता है। इसके कारण मेनोरेजिया (ज्यादा रक्तस्राव) भी कई बार देखने को मिलता है।”
वहीं, महिलाओं में मासिक धर्म स्वच्छता के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘शीविंग्स के संस्थापक मदन मोहित भारद्वाज ने बताया कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में स्वयंसेवकों के समक्ष महिलाओं ने इस तरह की समस्याएं साझा कीं जिसके बाद टेलीकॉन्फ्रेंस के जरिये उन्हें चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध कराया गया। उन्होंने बताया कि संगठन के स्वयंसवेकों को राष्ट्रीय राजधानी से लगे नोएडा में रहने वाली करीब 40 वर्षीय कविता (बदला हुआ नाम) ने बताया, कि कुछ महीनों पहले उसे कोविड-19 हुआ और उसके बाद से उसके मासिक धर्म चक्र में बदलाव आया है।
कविता ने कहा, ‘कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद मैंने मासिक धर्म चक्र में बदलाव महसूस किया। कोविड-19 से पीड़ित रहने के तीन हफ्तों के दौरान सामान्य रूप से मुझे महीना आना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे लगा कि मैं बहुत बीमार थी इस वजह से ऐसा हुआ होगा। लेकिन अगले महीने भी मुझे स्त्राव नहीं हुआ, हालांकि उसके अगले महीने यह सामान्य रूप से हुआ।’
वहीं, उत्तर प्रदेश के जौनपुर के उसरौली गांव की रहने वाली रीमा देवी (बदला हुआ नाम) ने भी संक्रमण के बाद माहवारी में गड़बड़ी की समस्या एनजीओ से साझा की। उन्होंने बताया, ‘मुझे महीना आने में देरी हुई। डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने, संक्रमण (कोविड-19) को संभावित वजह बताया।’
नोएडा स्थित अपोलो अस्पताल से संबद्ध प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. स्निग्धा के मुताबिक, तनाव मासिक धर्म चक्र को सीधे प्रभावित करता है। उन्होंने कहा, “कई बार ज्यादा रक्त स्राव के कारण खून की कमी, और दूसरी मनोवैज्ञानिक परेशानियां भी हो सकती हैं। कोविड-19 में तनाव और दबाव आदि का भी स्त्रियों के स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।”
मासिक धर्म में अनियमितता की वजह से महिलाओं में कई दूसरी बीमारियों का डर भी बना रहता है। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. राधा शर्मा ने बताया कि कोविड-19 के इस दौर में मूत्र मार्ग संक्रमण के मामले भी बढ़े हैं।
ज्यादा देर पीपीई किट पहनकर काम करने वाली महिलाओं को भी परेशानी हो रही है। डॉ. शर्मा ने कहा, “ मासिक धर्म के दौरान पीपीई किट पहन कर कई घंटे काम करने वाली स्वास्थ्यकर्मियों को मूत्र मार्ग संक्रमण, खुजली, सूजन आदि समस्याएं हो रही हैं।”
भारद्वाज ने कहा कि कोविड-19 की वजह से ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड्स उपलब्ध नहीं होने की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है।
दुनिया भर में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाएगा जिसका मकसद लड़कियों और महिलाओं को इस बारे में और जागरुक करना है। ऐसे समय में इस तरह की कठिनाइयां थोड़ा परेशान करने वाली हैं।
विश्व ईकाई, यूनीसेफ के मुताबिक भारत में 71 प्रतिशत किशोरवय लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में तब तक बहुत जानकारी नहीं होती जब तक उन्हें खुद पहली बार इसका (माहवारी का) अनुभव नहीं होता।
कोविड-19 से महिलाओं के स्वास्थ्य पर असर तो पड़ा है लेकिन 2019-20 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक देश के सभी राज्यों में 15 से 24 साल आयु वर्ग की लड़कियों व महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता व सुरक्षा उपायों को लेकर जागरुकता भी बढ़ी है।