देश के पूर्वी तटीय क्षेत्र में 26-27 मई के आसपास चक्रवाती तूफान ‘यास’ दस्तक दे सकता है और इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा में अपने दलों की तैनाती शुरू कर दी है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
एनडीआरएफ के महानिदेशक एस एन प्रधान ने ट्वीट किया कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय जिलों में ‘यास’ तूफान और इसके संभावित प्रभावों के मद्देनजर दलों को हवाई मार्ग से बुलाने का फैसला किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि आने वाले तूफान के लिए एनडीआरएफ के कितने दलों को चिह्नित किया जाएगा, इस बारे में फैसला भारत मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त जानकारी के आधार पर होगा। राज्य सरकार ने शुक्रवार को भारतीय नौसेना एवं भारतीय तट रक्षक बल से स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया है।
अरब सागर में आए इस तूफान ने मुख्य रूप से गुजरात के तटीय क्षेत्रों और महाराष्ट्र तथा गोवा जैसे राज्यों को प्रभावित किया। गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के उना कस्बे में सोमवार रात को ताउते ने दस्तक दी थी और करीब 28 घंटे की तबाही के बाद यह कम दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो गया था। एनडीआरएफ ने बचाव कार्य करके स्थिति को संभालने की कोशिश की थी बता दें कि एनडीआरएफ के प्रत्येक दल में 47 जवान होते हैं जिनके पास पेड़ों और खंभों को काटने वाले उपकरण, संचार उपकरण, हवा भरी जा सकने वाली नौकाएं और चिकित्सा सहायता सामग्री आदि होती है।
विभाग के चक्रवात चेतावनी प्रकोष्ठ ने जानकारी दी कि अगले 72 घंटों में धीरे-धीरे चक्रवाती तूफान में बदलने की पूरी संभावना है। यह उत्तर पश्चिम दिशा की ओर बढ़ सकता है और 26 मई की शाम के आसपास पश्चिम बंगाल-ओडिशा के तटों तक पहुंच सकता है। राज्यों में अलर्ट जारी किया जा चुका है।
केंद्र ने राज्यों से दवाओं का भंडार सुनिश्चित करने को कहा
केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यक दवाओं तथा संसाधनों का भंडार रखा जाए। ताकि ‘यास’ तूफान के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना वायरस महामारी पहले से ही सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौती है जो अस्थायी शिविरों में रहने वाले विस्थापित लोगों में पैदा हो सकने वाली जल, मच्छर और हवा जनित बीमारियों के स्वास्थ्य जोखिम के कारण और जटिल हो सकती हैं।