गलवान घाटी में बीते साल हुई हिंसक झड़प के बाद अपनी सेना पीछे हटाने का दावा करने वाले चीन ने अब अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास हलचल तेज कर दी है। दरअसल, चीन ने तिब्बत के दक्षिणपूर्वी हिस्से के सुदूर इलाकों में हाइवे का निर्माण पूरा कर लिया है, जो कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास है और भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकता है। इस हाइवे में 2 किलोमीटर लंबी सुरंग भी शामिल है।
यह हाइवे दुनिया की सबसे गहरे दर्रे यारलुंग जांग्बो ग्रैंड दर्रे से कटता है और संभवतः यह बाइबंग काउंटी में जाकर खत्म होता है, जो कि अरुणाचल प्रदेश के बिशिंग गांव की सीमा के पास है।
बिशिंग गांव अरुणाचल प्रदेश के गेलिंग सर्कल में आता है, जो मैकमोहन सीमा को छूता है। मैकमोहन लाइन चीन और भारत के बीच वास्तविक सीमा चिह्नित करती है।
चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता और वह दावा करता है कि यह दक्षिणी तिब्बत में आता है। यह हाइवे भारत के साथ एलएसी के पास सड़कों और सुरंगों के निर्माण की चीन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का हिस्सा है। इससे चीन के दूरस्थ इलाके भी शहरों और हवाई अड्डों से जुड़ेंगे।
ब्रह्मपुत्र पर हाइड्रो-प्रोजेक्ट में भी होगी इस हाइवे की बड़ी भूमिका
इस हाइवे के चालू होने से अब तिब्बत के शहरी इलाके निंगची और सीमा से सटे गांव के बीच का सफर घटकर सिर्फ 8 घंटे का रह जाएगा। माना जा रहा है कि चीन के मेगा यारलुंग जांग्बो हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट की योजना बनाने में भी यह हाइवे बड़ी भूमिक निभाएगा। बता दें कि तिब्बत की यारलुंग जांग्बो नदी ही भारत में बहकर आने पर अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र नदी बनती है। यहां से यह नदी बांग्लादेश जाती है।
चीनी मीडिया के मुताबिक, इस हाइवे का निर्माण 16 मई को पूरा हो गया था। यह हाइवे अपनी डेडलाइन से 228 दिन पहले ही बन गया है। इससे पहले चीन ने भारत की सीमा से सटे मेडोग और निंगची के बीच 2114 मीटर लंबी सुरंग और 67.22 किलोमीटर की रोड भी बनाई थी।
भारत में रहने वाले तिब्बत के जानकार क्लॉड अर्पी कहते हैं, ‘सड़क का बेशक रणनीतिक महत्व है। पहला तो इसलिए क्योंकि यह वास्तविक सीमा रेखा के पास है और दूसरा इसलिए भी कि चीन ने तिब्बत में जो भी निर्माण किए हैं वे सैन्य और नागरिक दोनों ही तरह के इस्तेमाल के हिसाब से किए गए हैं।’
सीमा के पास अपर सियांग जिले में भारत भी 150 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे का निर्माण कर रहा है। बीते साल नवंबर में अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अलो लिबांग ने बताया था कि हाइवे निर्माण के लिए सैटलाइट सर्वे का काम पूरा हो चुका है।