मुजफ्फरपुर के वार्ड 31 स्थित रामदयालुनगर मेन रोड में बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे कृष्ण पासवान की पांच वर्षीय बेटी दीपा कुमारी की मौत खुले नाले में गिरने से हो गई। उसके घर के आगे ही नगम निगम का नाला है। यह दो वर्षों से खुला हुआ है।
उसके घर के आगे एक गाड़ी लगी हुई थी। खेलते-खेलते वह कब नाले में जा गिरी, इसकी जानकारी किसी को नहीं हो सकी। जब परिजनों ने घर में नहीं देखा तो खोजबीन शुरू की। कोई सुराग नहीं मिला। घर के आगे लगी गाड़ी जैसे हटी, दीपा नाले में गिरी मिली। पुलिस भी पहुंची। पिता ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। इधर नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि जहां भी नाले पर स्लैब नहीं है,उसे ढका जाएगा।
मां बबीता देवी का रो-रोकर बुरा हाल था। बताया कि सुबह वह घर में काम कर रही थी। इस दौरान दीपा ने कहा कि वह टीवी देखने जा रही है। इसके बाद वह अपने काम में व्यस्त हो गयी। कुछ देर बाद मां ने दीपा को खाना खिलाने के लिए खोजना शुरू किया। लेकिन, वह नहीं मिली। इसके बाद उसके मां और पिता काफी परेशान हो गये। करीब आधे घंटे के बाद एक व्यक्ति ने दीपा को नाले में गिरा देखा।
दीपा ने जीती था एईएस से जंग
कृष्णा ने बताया कि दीपा जब एक साल की थी तो उसको एईएस हो गया था। केजरीवाल अस्पताल में भर्ती थी। नाक में तब मास्क लगा हुआ था। हजारों रुपये उसके इलाज में खर्च हुए थे। अबतक उसका कर्ज चुका रहे हैं। बड़ी मिन्नत के बाद बेटी ने जन्म लिया था। वहीं, दीपा की दादी ने कहा कि आज वह हंसते-खेलते हम सबको रुलाकर चली गई।
ठेला से बालू ढोकर चला रहा है परिवार
दीपा कुमारी चार भाई बहनों में सबसे छोटी थी। पिता कृष्णा पासवान ने बताया कि उसके तीन बेटा और दीपा एकलौती बेटी थी। काफी मिन्नत के बाद बेटी का घर में जन्म हुआ था। बताया कि ठेला से बालू ढोकर घर चलाते हैं। फिलहाल, कोरोना की वजह से काम ठप पड़ा हुआ है। सब्जी बेचकर घर चला रहे हैं।
जगह-जगह मौत के खुले नाले
नगर निगम का खुला नाला लोगों के लिए काल बन गया है। जगह जगह मौत के खुले नाले शहरवासियों को डरा रहे हैं। रामदयालुनगर मेन रोड में बुधवार सुबह कृष्ण पासवान की पांच वर्षीय बेटी दीपा कुमारी घर के आगे नगर निगम के खुले नाले में गिर कर दम तोड़ दी। उसके बाद मोहल्ले वालों का गुस्सा भड़क उठा। निगम के खिलाफ लोगों का आक्रोश फूटने पर पुलिस को पहुंचकर स्थिति संभालनी पड़ी। नगर निगम की लापरवाही के कारण खुले नाले में गिर कर लोगों की जान जा रही है। लेकिन, खुले नालों पर स्लैब या सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में 70 फीसदी नाले पर स्लैब नहीं है। हाल के वर्षों में नये निर्माण वाले नालों पर ढक्कन दिया गया है। इसमें में कई जगह स्लैप नहीं है। प्रत्येक वार्ड में छोटे-बड़े खुले नाला के कारण परेशानी बनी हुई है। शहर के मुख्य चौराहों पर खुले नालों के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं। लेकिन, निगम प्रशासन मामले में मौन है।
दो वर्ष पहले नाले में गिर कर महिला की हुई थी मौत, वहां अब भी स्लैब नहीं
मझौलिया रोड में वर्ष 2019 में जिस खुले नाला में गिरकर महिला की मौत हो गई थी। उस खतरनाक नाले के ऊपर आज तक नगर निगम प्रशासन की ओर से स्लैब का निर्माण नहीं कराया गया है। मामले में स्थानीय पार्षद अभिमन्यु चौहान ने बताया कि दो साल से खतरनाक नाले के समाधान के लिए कागजों पर ही कार्रवाई चल रही है। टेंडर के बाद भी स्लैब का निर्माण नहीं शुरू हुआ।
घटना बहुत ही दुखद है। नाले के निर्माण के लिए विभाग से अतिरिक्त राशि की मांग की जाएगी। जहां भी नाले पर स्लैब नहीं है। उन्हें चिह्नित करने का निर्देश इंजीनियरिंग शाखा को दिया गया है। एस्टिमेट तैयार कर खुले नालों को ढका जाएगा। मझौलिया रोड में काम कहां रुका है। इसके लिए इंजीनियर को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है।