उच्च न्यायालय में सोमवार को याचिकाकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि क्या केंद्र सरकार के लिए लोगों की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण सेंट्रल विस्टा परियोजना का निर्माण है। याचिकाकर्ताओं ने इस परियोजना के निर्माण पर रोक लगाने की मांग करते हुए यह सवाल उठाया। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद सेंट्रल विस्टा का निर्माण हो रहा है, जबकि यह केंद्र सरकार द्वारा घोषित आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में नहीं है।
लूथरा ने पीठ को बताया कि काम पर रोक लगाने की मांग को लेकर जब याचिका दाखिल की गई तो उस समय निर्माण कार्यस्थल पर श्रमिकों और दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर चिंताएं जताई गई। उन्होंने 4 मई को तक राजधानी में कोरोना संक्रमण पॉजिटिव दर और मौतों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि क्या सरकार के लिए लोगों की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण सेंट्रल विस्टा का निर्माण कार्य है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार लोगों के संवैधानिक अधिकार है।
लूथरा ने कहा कि महामारी को देखते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगाना जरूरी है ताकि सभी श्रमिको के जीवन को संकट में डालने से रोका जा सके। दूसरी तरफ केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सेंट्र विस्टा परियोजना का बचाव करते हुए कहा कि इसके लिए कई चुनौतियां रही है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कई दिनों तक दलीलें सुनने के बाद इस परियोजना को मंजूरी दी थी। मेहता ने कहा कि यह निर्माण लंबे समय से चल रहा है लेकिन कुछ लोग बिना कारण इसमें बाधा डालने में लगे है। केंद्र ने कहा कि कुछ लोग जनहित याचिका के माध्यम से परियोजना का निर्माण कार्य बंद करवाना चाहते हैं, जबकि निर्माण कार्य पर उचित चिकित्या व्यवस्था सहित अन्य प्रबंध है।
मेहता ने याचिकाकर्ताओं के मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर रोक लगाने की मांग क्यों की जा रही है जबकि कई अन्य परियोजनाओं पर काम चल रही है । सेंट्रल विस्टा परियोजना का निर्माण करने वाली कंपनी ने भी याचिका पर आपत्ति जताया है। कंपनी ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ता यह तय नहीं कर सकते कि इसका निर्माण कार्य कब पूरा करना है। कंपनी ने गणतंत्र दिवस पर होने वाले समाहरोह का हवाला देते हुए कहा कि आधा राजपथ खोदा जा चुका है, यदि बरसात के मौसम में पानी भर गई तो आसपास के क्षेत्रों में गड्ढे हो जाएंगे। कंपनी ने कहा कि यदि यदि हम गणतंत्र दिवस समारोह में परेड का जश्न मनाना चाहते हैं तो काम में देरी नहीं कर सकते। सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायालय ने कहा कि कामजारी रखा जाए या नहीं, इस पर जल्द ही फैसला देंगे।