पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा होती है। इस बीच ईशनिंदा के आरोप में हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या करने का इराजा लिए ग्रामीणों की भीड़ ने इस्लामाबाद के एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दर्जनों ग्रामीणों ने डंडों और लोहे की छड़ों के साथ गोलरा पुलिस स्टेशन पर हमला किया। इस दौरान उन्होंने पुलिस से पूछताछ के लिए संदिग्ध को हिरासत में लेने की मांग की, जिसके खिलाफ ईशनिंदा के आरोप में शिकायत दर्ज की गई थी।
ग्रामीणों ने पहरेदारों पर काबू पाकर थाने में घुसने में कामयाबी हासिल की। इसके बाद जांच अधिकारियों और थाना प्रभारी (एसएचओ) के कार्यालयों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। पुलिसकर्मियों ने खुद को लॉक-अप और अन्य कमरों में बंद करके खुद को और संदिग्ध को बचाने की कोशिश की। बाद में पुलिस दल से मदद मांगी।
डॉन की खबर के मुताबिक सूचना मिलने पर आतंकवाद निरोधी विभाग, आतंकवाद निरोधी दस्ते और दंगा रोधी इकाई के कर्मियों सहित पुलिस बल मौके पर पहुंचा और कर्मचारियों को बचाया।
एक घंटे से अधिक समय तक प्रदर्शनकारी ग्रामीणों पर आंसू गैस के गोले दागने और लाठीचार्ज करने के बाद पुलिस ग्रामीणों को तितर-बितर करने में सफल रही। कितने पुलिस अधिकारी घायल हुए, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। डॉन के अनुसार, पुलिस थाने और उसके आसपास पूरी तरह से ब्लैकआउट कर दिया गया था, जबकि पुलिस ने ईशनिंदा करने वाले व्यक्ति को कड़ी सुरक्षा के बीच एक अज्ञात स्थान पर भेज दिया।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों की सार्वभौमिक रूप से निंदा की गई है। कई लोगों का तर्क है कि कानूनों का उपयोग बुनियादी मानवाधिकारों के लिए बोलने वाले लोगों को चुप कराने के लिए किया जाता है। 12 मई को, अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी की गई 2020 की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट ने पाकिस्तान में धार्मिक अभिव्यक्ति में गिरावट उजागर किया। विशेष रूप से ईशनिंदा कानूनों के रूप में, जिसके लिए सजा मृत्युदंड तक है।
आईआरएफ रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ईशनिंदा के आरोप में कई व्यक्ति कैद थे, जिनमें से कम से कम 35 को मौत की सजा मिली थी। इसके अलावा ईशनिंदा के आरोप में 82 व्यक्तियों को कैद किया गया था और 29 को 2019 में मौत की सजा मिली थी।
पिछले महीने, यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव में पाकिस्तान सरकार से देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को उकसाने की “स्पष्ट रूप से निंदा” करने का आह्वान किया। इसने पाकिस्तान में प्रचलित फ्रांसीसी विरोधी भावना पर “गहरी चिंता” भी व्यक्त की।