उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगों के दौरान खुफिया विभाग के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी को अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यह हमला इतना क्रूर था कि आईबी के अधिकारी के शरीर पर कई गहरे जख्म पाए गए। इतने गंभीर अपराध के आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने इस आरोपी को ना सिर्फ आईबी अधिकारी की हत्या के मामले में बल्कि दो अन्य दंगों के मामलों में भी जमानत देने से इंकार कर दिया है। आरोपी की तरफ से तीन अलग-अलग मामलों का हवाला देते हुए जमानत की मांग की गई थी। परन्तु अदालत ने कहा कि बेशक यह तय मामले की सुनवाई के बाद होगा कि आरोपी इस अपराध में संलिप्त था या नहीं। लेकिन जिस तरह के अपराध दंगों के दौरान हुए वह किसी भी समाज में स्वीकार करने योग्य नहीं है।
ऐसे अपराध के आरोपी को खुला घूमने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि पीड़ित परिवार उसी इलाके में आस-पास रहते हैं जहां आरोपी का घर है। ऐसे में पीड़ित परिवारों के लिए भय का माहौल बन सकता है। इसलिए आरेापी किसी भी लिहाज में जमानत पाने का हकदार नहीं है।अदालत ने कहा कि इस मामले के चार आरोपियों की जमानत याचिका का तीन बार पहले ही खारिज किया जा चुका है। ऐसे में जब किसी आरोपी को समानता के आधार पर जमानत दी जाती है तो समानता के आधार पर किसी आरोपी को जमानत ना देने का भी नियम उचित है। बशर्ते सभी आरोपी समान अपराध में समान रुप से शामिल हों। सब की भागीदारी एक समान होनी चाहिए। जैसा कि दंगों के इन तीन मामले में पाया गया है।