राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना से बचाव के तहत घोषित बंदी जारी है। दिल्ली सरकार ने रविवार को घोषित बंदी को एक सप्ताह के लिए और आगे बढ़ा दिया है। दिल्ली के सभी व्यापारिक संगठनों ने दिल्ली सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। साथ ही व्यापारिक संगठनों ने कोरोना से हुए व्यापारिक नुकसान का हवाला देते हुए सरकार से राहत की मांग की है।
कन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दिल्ली सरकार की तरफ से बंदी को बढ़ाए जाने के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही कैट ने बंदी से हुए नुकसान का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार ने वित्तीय सहायता देने की मांग की है। इस संबंध में कैट राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल व प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा ने कहा की पिछले 45 दिनों में दिल्ली में लगभग 30 हजार करोड़ रुपए के व्यापार का नुक़सान हुआ है । दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि
दिल्ली में लगभग 15 लाख छोटे बड़े व्यापारी हैं जो प्रत्यक्ष रूप से लगभग 35 लाख लोगों को रोजगार देते हैं वहीं अप्रत्यक्ष रूप से अन्य अनेक लाखों लोग व्यापारियों के जरिये अपनी आजीविका कमा रहे हैं। कैट के प्रदेश महामंत्री देवराज बवेजा, आशीष ग्रोवर व सतेंद्र वधवा ने कहा कि दिल्ली के व्यापारियों को इस समय वित्तीय सहायता दिया जाना बेहद जरूरी है। दिल्ली में पिछले तीन सपताह से दुकानें और बाजार बंद हैं और व्यापारियों को पैसे की कोई आमदनी नहीं है।
जीएसटी, आयकर व बैंक की ईएमआई से मिले राहत
दिल्ली के प्रमुख व्यापारिक संगठन भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) ने भी बंदी के फैसले का स्वागत किया है। बीयूवीएम के महासचिव हेमंत गुप्ता और राकेश यादव ने कहा कि बंदी जरूरी है, लेकिन बंदी की वजह से व्यापारियों को कई तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ा है। जिसके समाधान के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। जिसके तहत जीएसटी, आयकर, टीडीएस, ईएसआई समेत अन्य करों को जमा कराने से तीन महीने की छूट दी जाए। वहीं बैंक लोन की ईएमआई से छूट के लिए घोषणा की जाए।
बिजली-पानी बिल, संपत्ति कर से राहत देने की भी मांग
नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन (एनडीटीए) व वॉल सिटी मोर्चें ने भी बंदी के फैसले का स्वागत किया है। वहीं एनडीटीए समेत कैट ने बिजली-पानी बिल, संपत्ति कर समेत अन्य देनदारियों से राहत देने की मांग की है। एनडीटीए के अध्यक्ष अतुल भार्गव ने कहा के बंदी के पहले चरण के पहले दिन से व्यापारी सरकार के आदेशाों का पालन कर रहे हैं। अब हालात ऐसे हैं कि व्यापारियों को सहयोग की जरूरत है। जिसके तहत प्राथमिकता के आधार पर बिजली-पानी के फिक्स जार्च माफ किया जाए। वहीं संपत्ति कर से राहत समेत अन्य देनदारियों से छूट के लिए घोषणाा की जाए।