देश में कोरोना कहर के बीच अब म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के केस भी तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना से रिकवर हो चुके कई लोगों के लिए यह दुर्लभ संक्रमण जानलेवा साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इस संक्रमण से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है तो देश के अन्य हिस्सों में इसके मरीज मिल रहे हैं। दिल्ली के एम्स और सर गंगा राम अस्पताल में ब्लैक फंगस के 29 मरीज भर्ती हैं।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि एम्स के ईएनटी विभाग में 10 मरीज भर्ती हैं जिन पर हमें संदेह है कि वह ब्लैक फंगस के संक्रमित है। अब हम इनकी रिपोर्ट में ब्लैक फंगस जैसा संक्रमण देख रहे हैं कि जैसे गुजरात और अन्य शहरों के मरीजों में मिला है। उन्होंने बताया कि कई कोरोना मरीजों जिन्हें मधुमेह है उन्हे इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया गया जिससे उनका ब्लड सुगर लेवल बेकाबू हो गया है। कुछ कोरोना मरीजों को टोसीलिज़ुमैब और इटोलिज़ुमैब जैसी दवाई दी गई जिससे उनका इम्यून सिस्टम में तेजी से गिरावट हुई। इन सब से ब्लैक फंगन होने की ज्यादा संभावना है।
अन्य 19 मरीज सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती है। इसकी जानकारी अस्पताल में ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय स्वरूप ने दी। उन्होंने बताया कि कोविड -19 से पहले मैंने पांच वर्षों में कई मामलों को देखा होगा। हमें तीन से चार महीनों में एक मरीज फंगल संक्रमण के साथ मिलता था वह भी क्योंकि हम एक बड़ी तृतीयक देखभाल सुविधा हैं। अब, हम अन्य शहर के अस्पतालों में रोगियों के बारे में सुन रहे हैं, जो ब्लैक फंगस से पीड़ित हैं और जो इलाज के लिए यहां आना चाहते हैं।
चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अरुणालोक चक्रवर्ती ने बताया कि ब्लैक फंगस का संक्रमण संख्या पिछले साल सितंबर और दिसंबर के बीच देश के 16 केंद्रों में 2.5 गुना बढ़ी। लेकिन इस बार यह इस बार और ऊपर जाने की संभावना है; हम एक और अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं। आपको बता दें कि डॉ. अरुणालोक चक्रवर्ती फंगल इंफेक्शन स्टडी फोरम का हिस्सा हैं और उन सदस्यों में से एक हैं, जिन्होंने म्यूकमोइरोसिस पर सरकार की सलाह का मसौदा तैयार किया था।