चुनाव, कुंभ और ऑक्सीजन सप्लाई जैसे 21 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इन मामलों पर सरकारी एफिडेविट मीडिया तक पहुंचने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने रविवार देर रात ऐफिडेविट सुप्रीम कोर्ट पहुंचाया। सोमवार सुबह 10 बजे ये हमें मिला, लेकिन मीडिया के पास ये रात में ही पहुंच गया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को सफाई दी। उन्होंने कहा कि राज्यों को भी हमने अपना हलफनामा भेजा था। वहां से कोई गड़बड़ हुई होगी। कोर्ट ने कहा कि हम वैक्सीनेशन और हॉस्पिटलाइजेशन पॉलिसी पर केंद्र के एफिडेविट को पढ़ेंगे। इसके बाद अदालत ने सुनवाई गुरुवार तक स्थगित कर दी।
केंद्र ने वैक्सीनेशन को बताया सबसे अच्छा विकल्प
इससे पहले केंद्र सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। इसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना को रोकने के लिए वैक्सीनेशन सबसे अच्छा विकल्प है। ये वर्तमान के साथ-साथ लंबे समय तक कोरोना से लड़ने की रणनीति का हिस्सा है।
केंद्र ने कहा था कि हम तेजी से वैक्सीनेशन बढ़ाने की तरफ ध्यान दे रहे हैं। वैक्सीन की कीमत भी एक बड़ा मुद्दा है। इसे कम कराने के लिए केंद्र सरकार देश के साथ-साथ दुनियाभर में कोशिश कर रही है। वैक्सीनेशन प्रोग्राम में कमजोर वर्ग के लोगों पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है।
दो दिन पहले बनाई थी नेशनल टास्क फोर्स
इससे पहले 8 मई को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स बनाई थी। इनमें 10 देश के जाने-माने डॉक्टर और सरकार के सेक्रेटरी लेवल के दो अधिकारी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स से दवाइयों और ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए जरूरी उपायों पर सुझाव मांगे हैं। इसमें शामिल 12 सदस्यों को ऑक्सीजन सप्लाई करने का वैज्ञानिक और व्यावहारिक फॉर्मूला भी तैयार करने के लिए कहा है।