दून मेडिकल कॉलेज ने एक ऐसे रैकेट का खुलासा किया है, जो बाहर से आरटीपीसीआर सैंपल जांच के दोगुने रुपये लेकर इनकी मेडिकल कॉलेज में मुफ्त जांच करा रहा था। इस धंधे में फिलहाल मेडिकल कॉलेज के कुछ स्टाफ के साथ ही एक प्राइवेट लैब के कर्मचारी का भी नाम सामने आया है। जानकारी में आने पर बुधवार को दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने इस मामले की जांच को सीनियर प्रोफेसर नवीन थपलियाल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। सूत्रों ने बताया कि लैब में बड़ी संख्या में ऐसे सैंपल की खेप भी आ रही थी, जिनके सैंपल दून अस्पताल से लिए ही नहीं जा रहे थे। एक प्राइवेट पैथालाजी का कर्मचारी डिमांड आने पर लोगों के घरों में जाकर आरटीपीसीआर सैंपल लेता था और इसके एवज में प्रत्येक व्यक्ति से 800 से 1200 रुपये तक वसूलता था, जबकि सरकार ने प्राइवेट लैब के सैंपल का दाम 500 रुपये निर्धारित किया है।
पैथालॉजी का स्टाफ इन सैंपलों को जांच के लिए दून अस्पताल भिजवाता था, जो कि मेडिकल कालेज के स्टाफ की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। दून मेडिकल कालेज में आरटीपीसीर सैंपलों की मुफ्त जांच होती है। लैब स्टाफ ने ऐसे 12 से ज्यादा व्यक्तियों के मोबाइल पर संपर्क किया, जिनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे तो संबंधित लोगों ने बताया कि सहारनपुर रोड स्थित एक प्राइवेट पैथालाजी के कर्मचारी ने उनके सैंपल लिए थे। इसके बदले दोगुना रुपये लिए गए थे।
ऐसे हुआ खुलासा
सूत्रों ने बताया कि एक मई को जांच लैब में सुबह साढ़े आठ बजे ही सैंपल पहुंच गए। बाकायदा लैब के रजिस्टर में इन्हें दर्ज किया गया था, जबकि तब तक अस्पताल की लैब में सैंपल लेने शुरू भी नहीं हो पाए थे। इससे लैब के एचओडी का माथा ठनका तो उन्होंने इसकी पड़ताल कराई तो पता चला दून मेडिकल कॉलेज की लैब में तो अभी सैंपल लेने शुरू ही नहीं हुए। एचओडी ने जब लैब के स्टाफ से जानकारी ली तो उन्हें गोल मोल जवाब मिला।
यह मामला मेरी जानकारी में भी आया है। प्रारंभिक पड़ताल में अभी मेडिकल कालेज के किसी कर्मचारी का नाम सामने नहीं आया है। जो भी इस धंधे में लिप्त है, उनको चिन्हित किया जाएगा। बुधवार को ही जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाने के आदेश किए हैं।