दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले में आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट समय से नहीं मिलने के कारण मरीजों को दिक्कत हो रही है। सात से आठ दिनों में रिपोर्ट मिल रही है। इतने समय में संक्रमित की या तो तबीयत बिगड़ जाती है या मौत हो जाती है। एमएमजी अस्पताल में 10 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जिनकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट आने से पहले ही जान चली गई।
जिले में जहां कोरोना के मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं, वहीं लोगों को अब जांच रिपोर्ट के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है। रैपिड एंटीजन किट की जांच रिपोर्ट तो तुरंत मिल जाती है, लेकिन इसकी सत्यता कम होने के कारण लोग आरटी-पीसीआर जांच को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। जिले में रोजाना औसतन 2500 से तीन हजार लोगों की आरटी-पीसीआर जांच की जाती है।
जिला एमएमजी अस्पताल स्थित आरटी-पीसीआर लैब में एक दिन में अधिकतम 700 से अधिक सैंपल की जांच होती है। अन्य सैंपल ग्रेटर नोएडा के जिम्स में भेजे जाते हैं। सैंपल की संख्या अधिक होने के कारण जांच में भी समय लगता है और मरीजों को रिपोर्ट के लिए सात से आठ दिन का समय लग जाता है। ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है। बिना जांच रिपोर्ट के मरीजों का इलाज भी संभव नहीं होता है और इलाज नहीं मिलने से लोगों को तबीयत बिगड़ जाती है।
दस से ज्यादा मरीजों की मौत
जिला एमएमजी अस्पताल में पिछले एक सप्ताह में दस से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनकी जांच रिपोर्ट आने से पहले ही मौत हो गई है। अस्पताल प्रबंधन ने आपातकाल में ट्रूनेट जांच की थी, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 24 अप्रैल को फरुखनगर में रहने वाली 55 वर्षीय महिला समेत तीन की मौत हो गई थी। वहीं 25 अप्रैल को नंदग्राम में रहने वाले व्यक्ति की जान चली गई। 21 अप्रैल को विधायक की मामी की कोरोना जांच हो गई थी, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
”लोगों को चार से पांच दिन में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट उनके मोबाइल पर भेज दी जाती है। जिन लोगों की तबीयत ज्यादा खराब होती है, उनकी एंटीजन जांच की जाती है, जिससे समय पर इलाज मिल सके।” – डॉ. सुनील त्यागी, कार्यवाहक सीएमओ
मारामारी देख लौट रहे लोग
कोरोना जांच को लेकर जिले में सभी जगह मारामारी चल रही है। घंटाघर रामलीला मैदान, नेहरूनगर डिस्पेंसरी, इंदिरापुरम गुरुद्वारा, ईएसआईसी राजेंद्र नगर और शहर के विभिन्न केंद्रों पर सुबह आठ बजे से ही लाइनें लगनी शुरू हो जाती हैं। लंबी लाइन और तेज धूप के चलते अधिकांश मरीज बिना जांच कराए ही वापस लौट जाते हैं।