हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सिरसा दौरे के दौरान उन्हें काले झंडे दिखाने पहुंचे किसानों को पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर वहां से खदेड़ दिया और अनेक लोगों को हिरासत में ले लिया।
खट्टर दोपहर को हवाई मार्ग से सिरसा पहुंचे थे, यहां उन्हें सिरसा के नागरिक अस्पताल में जिले के प्रशासनिक और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अधिकारियों के साथ बातचीत करनी थी। मुख्यमंत्री के दौरे के मद्देनजर सिरसा शहर में बैरिकेड लगाकर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे, लेकिन स्थानीय भगत सिंह स्टेडियम में धरना दे रहे किसानों को मुख्यमंत्री के आने की भनक लगी तो हरियाणा किसान मंच के प्रदेशाध्यक्ष प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा के नेतृत्व में वे काले झंडे लेकर हाउसिंग बोर्ड चौक पर पहुंचे तो पुलिस इन्हें हिरासत में लेकर सदर थाना ले गई, लेकिन इनमें से कुछ किसान नारेबाजी करते हुए नागरिक अस्पताल के पास पहुंच गए जहां से मुख्यमंत्री का काफिला गुजरना था।
किसानों के मार्ग अवरुद्ध करने की आशंका को लेकर पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। इनमें से कुछ किसानों को पुलिस हिरासत में लेकर बस में भर कर ले गई। हालांकि, मुख्यमंत्री के सिरसा से प्रस्थान करने के बाद पुलिस द्वारा किसानों को रिहा कर दिया गया।
26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते साल 26 नवंबर से हजारों की तादाद में किसान दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।