कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के फेफड़ों में संक्रमण की मौजूदगी एवं गंभीरता का पता लगाने के लिए की जाने वाली हाई रेजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (एचआरसीटी) की कीमतें तय करने की मांग पर उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि तेजी से फैलते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर अब जांच घर/पैथोलॉजी एचआरसीटी की मानमानी कीमतें लोगों से वसूल रहा है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस बारे में हलफनामा दाखिल कर विस्तृत जवाब देने को कहा है। पीठ ने अधिवक्ता शिवलीन पसरीचा की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। उन्होंने याचिका में कहा है कि कई बार सारे लक्षण होने के बाद भी कोरोना संक्रमण का पता आरटीपीसीआर जांच में भी नहीं चल रहा है। लक्षण होने की वजह से डॉक्टर मरीजों को एचआरसीटी (चेस्ट का सीटी स्कैन) कराने की सलाह देते हुए हैं।
याचिका में कहा गया है कि इसकी मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए दिल्ली में हास्पिटल/ नर्सिंग होम, पौथोलॉजी इस जांच की मोटी कीमत वसूल रहे हैं। याचिकाकर्ता पसरीजा ने पीठ को बताया कि राजधानी में फिलहाल एचआरसीटी कराने की कीमत पांच से छह हजार रुपये लोगों से लिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने पीठ से सरकार को एचआरसीटी जांच की कीमत तय करने का आदेश देने की मांग की है। पसरीचा ने पीठ को बताया कि राजधानी में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए एचआरसीटी की कीमतों को नियमित और नियंत्रित करना आवश्य है। उन्होंने पीठ को बताया कि अस्पताल, जांच घर और पैथोलॉजी एक तरह से जांच की मनमाना कीमत वसूल कर एक तरह से कालाबाजारी कर रहे हैं।