कोरोना महामारी के मामले शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा है कि इस समय आपसी सहयोग से काम लेने का है, राजनीति चुनाव के समय होती है।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि हम दिल्ली सरकार को एक संदेश भेजना चाहते हैं कि वह सहयोग का दृष्टिकोण रखे, ये संदेश उच्च स्तर पर जाए कि राजनीतिक बहस बाजी नहीं होनी चाहिए। चुनाव के समय राजनीति होती है। अब नागरिकों का जीवन दांव पर है, हम सहयोग चाहते हैं।
इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिकारी सुनीता डावरा ने कहा, एक अभूतपूर्व संकट आया है. अगस्त 2020 में 6000 एमटी ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ था और अब यह 9000 एमटन है। उन्होंने कहा कि मोदीनगर में नए संयंत्र लगाए गए हैं। इस्पात क्षेत्र में भी उत्पादन 1500 से 3600 मीट्रिक टन हो गया है। यूपी ने अपने टैंकरों पर भी जीपीएस लगाया है ताकि ड्राइवरों को ट्रैक किया जा सके और यह देखा जा सके कि टैंकर कहां हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में मध्य प्रदेश की तरह ऑक्सीजन की निर्माण इकाई नहीं है।
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 490 एमटी और 700 एमटी का मुद्दा क्या है, जब मांग 700 की थी तो दिल्ली का आवंटन कम क्यों है ?
केंद्र की विशेष जिम्मेदारी :
कोर्ट ने कहा कि केंद्र की दिल्ली के प्रति विशेष जिम्मेदारी है, दिल्ली के पास संसाधनों की की कमी है। दिल्ली में अलग-अलग राज्यों के लोग हैं। दुर्लभ ही कोई होगा जो कह सकता है कि वह दिल्ली का मूल वासी है। दिल्ली पर भी केंद्र ध्यान दे, एक नेशनल अथॉरिटी के तौर पर केंद्र की राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक जिम्मेदारी बनती है, और आप नागरिकों के लिए जवाबदेह हैं। पीठ ने केंद्र से पूछा कि क्या भारत में ऑक्सीजन की उपलब्धता पर्याप्त है, प्रति दिन 8,500 मीट्रिक टन की औसत मांग है। इस पर केंद्र ने कहा कि 10000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दैनिक आधार पर उपलब्ध है, फिलहाल ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, लेकिन राज्यों द्वारा अपर्याप्त साधनों के कारण कुछ क्षेत्रों में उपलब्धता कम हो सकती है।