कोविड महामारी के इस दौर में बस्ती में नगर पंचायत भानपुर के रहने वाले राम सागर गौड़ को जिला अस्पताल पहुंचाने के लिए जब तक एंबुलेंस आती, उससे पहले मौत आ गई। पत्नी शव लेकर सीएचसी में बैठी रही मगर कोरोना के डर से कोई पास नहीं आया। चार कंधे मिलने का तो सवाल ही नहीं था। बेटे मुंबई से आ न सके। पांच घंटे बाद पड़ोसियों ने पिकअप से शव श्मशान तक पहुंचाया और जेसीबी से गड्ढा खोदकर दफन कर दिया गया।
भानपुर कस्बे के रहने वाले रामसागर गौड़ (50) एक सप्ताह पहले अहमदाबाद से घर आए थे। उस समय आशा ने बाहर से आने की बात कहते हुए कोविड जांच के लिए कहा, लेकिन उन्होंने जांच नहीं कराया। पिछले कुछ दिनों से उन्हें बुखार की शिकायत थी। चिकित्साधिकारी डॉ. पीसी यादव ने बताया कि शुक्रवार को तेज सांस फूलने व बुखार की शिकायत पर उन्हें सुबह 9.30 बजे सीएचसी पर लाया गया। हालत काफी गंभीर थी और ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे था। इसलिए जिला अस्पताल रेफर कर एम्बुलेंस कॉल की गई। एम्बुलेंस फील्ड में थी और उसके आने के पहले ही राम सागर ने दम तोड़ दिया।
राम सागर को लेकर उनकी पत्नी साथ आई थीं। दोनों बेटे मुंबई में रहते हैं। दो बेटियों में एक का विवाह हो चुका है और वह अपने ससुराल में है। नाबालिग बेटी घर पर है। शव अस्पताल के गेट के पास था तो कर्मचारियों ने उसे कोविड संदिग्ध मरीज मानते हुए उधर आने-जाने पर रोक लगा दी। पत्नी शव लेकर अस्पताल परिसर में लोगों से मनुहार करती रही कि कोई घर पहुंचा दे। पड़ोस के लोग व सहयोगी कोरोना के डर से दूरी बनाए रहे। इस तरह पांच घंटे बीत गए और पति का शव लेकर पत्नी अस्पताल परिसर में बिलखती रही।
बाद में लोगों का दिल पसीजा। कुछ पड़ोसियों और सहयोगियों ने निर्णय लिया कि शव किसी वाहन पर रखकर पहुंचा दिया जाए। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कुछ लोगों ने शव पिकअप में रख दिया। बैड़ा समय माता स्थान के पास शमशान घाट पर एक जेसीबी से गड्ढा खोदकर शव दफन कर दिया गया।