कोरोना कहर के बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के आखरी चरण की 35 सीटों के लिए होने वाले मतदान में राजनीतिक दलों का सबसे बड़ा सहारा सोशल मीडिया है। चुनाव प्रचार बंद हो जाने के बाद अब सोशल मीडिया के जरिए बढ़त बनाने की कोशिश हो रही है। हालांकि, इस बीच राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले 16 हजार प्रतिदिन तक पहुंच जाने के बाद अब इसका असर भी मतदान पर पड़ेगा। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस कोरोना को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के बाकी रण के लिए राजनीतिक दलों के पास अब सोशल मीडिया ही जनता तक पहुंचने का सबसे बड़ा सबसे बड़ा सहारा बचा है। इसके जरिए ही सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वैसे भी इस बार चुनाव प्रचार अभियान में सोशल मीडिया पर सभी दलों ने जमकर पैसा खर्च किया है यह सोशल मीडिया की पहुंच और व्यापकता को दर्शाता है। गौरतलब है कि कोरोना का असर सातवें दौर के मतदान पर भी पड़ा और वह पिछले छह चरण की तुलना में कम रहा।
अब आखिरी दौर में सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना है जिस पर जमकर राजनीति हो रही है। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने अपने लाभ के लिए जानबूझकर चुनाव को इतना लंबा खींचा और जब संक्रमण बढ़ा तब भी उसने मतदान के दौर कम नहीं करने दिए। दूसरी तरफ भाजपा कोरोना संक्रमण के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं की नाकामी करार दे रही है। इस बीच दोनों ही दल चुनाव के बाद मुफ्त टीकाकरण जैसे वादे भी कर रहे हैं।
धुंआधार अभियान को कोरोना का झटका :
पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रचार अभियान जिस तूफानी गति से शुरू हुआ था, उसकी परिणित उसके विपरीत उतनी ही कमजोर हुई है। कोरोना ने राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार अभियान बंद करने के लिए मजबूर किया। अभी मतदान का आखिर और बाकी है, लेकिन इसके पहले राज्य में कोरोना वायरस ने चार उम्मीदवारों की जान ले ली है। इसके अलावा कई उम्मीदवार कोरोना से संक्रमित है। इनमें भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो भी शामिल है।