दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत बंद किए गए सभी सुविधाओं से युक्त 150 बेड वाले एक निजी अस्पताल को फिर से शुरू करने की इजाजत देने की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने अस्पताल के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने वाली कंपनी को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने अस्पताल के मालिक/ डॉक्टर की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। डॉ. ने याचिका में कहा कि बंद पड़े 150 बेड वाले उसके सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल को कोरोना मरीजों की इलाज के लिए अनुमति दी जाए। अस्पताल को उसकी मूल कंपनी के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया के चलते बंद कर दिया गया था।
डॉक्टर ने अपनी याचिका में कहा है कि वह और उनके डॉक्टरों की टीम तथा नर्सिंग स्टाफ अस्पताल के परिचालन को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। बेंच ने सभी पक्षों को अगली सुनवाई 7 मई से पहले जवाब देने को कहा है।
मामले में दिल्ली सरकार के वकील संतोष के. त्रिपाठी ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने बेंच से कहा कि यह याचिकाकर्ता का जारी समाधान प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का प्रयास है।
मूल कंपनी दुर्हा वितरक प्राइवेट लिमिटेड के तहत स्थापित फेबरिस मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के राकेश सक्सेना ने कहा कि कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से बेड, ऑक्सीजन एवं दवाओं की कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि महामारी के समय में में बंद पड़े उसके अस्पताल का मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉक्टर ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार 2019 से बंद पड़े इस अस्पताल को अपने अधीन ले सकती है और अस्पताल का प्रयोग कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं।