कोरोना महामारी में मजदूरों का पलायन विकराल रूप लेता जा रहा है। भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि अप्रैल के शुरुआती 12 दिनों में करीब 9 लाख लोगों ने महाराष्ट्र से वापस अपने राज्यों का रुख किया है। हालात इतने गंभीर होते जा रहे हैं कि अब कारोबारी भी इन मजदूरों को रोकने के इच्छुक नहीं है।
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 1 से 12 अप्रैल के बीच वेस्टर्न रेलवे की तरफ से 196 ट्रेनों में 4.32 लाख लोगों ने सफर किया। इनमें से 150 रेलगाड़ियां सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए गईं। उनमें 3.23 लाख लोग वापस इन राज्यों की तरफ लौटे हैं। यही नहीं इस दौरान सेंट्रल रेलवे की तरफ से चलाई गईं 336 ट्रेनों में 4.70 लाख यात्रियों ने महाराष्ट्र से अपने राज्यों का रुख किया। ये रेलगाड़ियां उत्तर प्रदेश, बिहार के साथ साथ असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा राज्यों के लिए गईं।
रिपोर्ट के मुताबिक बड़े पैमाने पर औद्योगिक गतिविधियां चलाने वाले महाराष्ट्र राज्य में लॉकडाउन के गंभीर परिणाम होंगे। मौजूदा सख्ती से राज्य को 82 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है और आने वाले दिनों में ये सख्ती बढ़ी तो घाटा भी गहराना तय है।
बेड की किल्लत बड़ी समस्या
कारोबारी भी मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुए मजदूरों को रोकने में हिचकिचा रहे हैं। इंडिया एसएमई फोरम की डायरेक्टर जनरल सुषमा मोरथानिया ने हिंदुस्तान को बताया कि अस्पताल में बेड की किल्लत बड़ी समस्या बनती जा रही है। ऐसे में मजदूरों को रोकने पर महामारी फैलने की हालत में उनके इलाज की मुश्किलों से निपटना बड़ी चुनौती है। उनके मुताबिक कारोबारी बेहद जरूरी काम के लिए ही मजदूरों को रोकने का जोखिम ले रहे हैं, वो भी सिर्फ उन्हीं को रोका जा रहा है जिनका इंश्योरेंस कराया गया है। इनकी तादाद कई जगहों पर 25 फीसदी के करीब ही है।
आर्थिक हालात काफी बिगड़े
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अमिल बसोले के मुताबिक पिछले लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के पलायन के दौरान उनकी आर्थिक हालात काफी बिगड़ गई थी। लंबे समय के बाद कामकाज शुरू हुआ था जो फिर से बंद हो गया है। ऐस में मजदूरों के लिए बार बार शहर की तरफ रुख करना मुश्किल हो जाएगा।