मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित एक निजी अस्पताल में चिकित्सकीय ऑक्सीजन कथित रूप से खत्म हो जाने से गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कोविड-19 के पांच मरीजों की मौत हो गई। इस मामले में जबलपुर कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं। नगर पुलिस अधीक्षक (कोतवाली क्षेत्र) दीपक मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि यह घटना गैलेक्सी अस्पताल में गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात को हुई।
उन्होंने कहा, मृतकों के परिजनों के अनुसार इस अस्पताल में चिकित्सकीय ऑक्सीजन समाप्त होने पर आइसीयू में भर्ती कोविड-19 के पांच मरीजों की मौत हो गई। मिश्रा ने बताया कि इन मरीजों की मौत के बाद परिजनों द्वारा अस्पताल के बाहर हंगामा किये जाने की जानकारी मिलने पर इलाके में गश्त कर रही पुलिस रात में ही अस्पताल पहुंची और मृतकों के परिजनों ने शिकायत की कि ऑक्सीजन समाप्त होने से मरीजों की मौत हुई है।
उन्होंने कहा कि यह अस्पताल गुरुवार देर रात तक में चिकित्सकीय ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन इसे ला रहा वाहन खराब हो गया। मिश्रा ने बताया कि इसके बाद पुलिस के जवान एक निजी एजेंसी गये और वहां से ऑक्सीजन सिलेंडर लाये। उन्होंने बताया कि एक वाहन का बंदोबस्त किया गया और उसमें 10 ऑक्सीजन सिलेंडर इस अस्पताल में पहुंचाए गए। उन्होंने कहा, मृतकों के परिजनों ने इस मामले में पुलिस से जांच करने की मांग की है। हम जांच करने के लिए लिखित शिकायत का इंतजार कर रहे हैं।
इसी बीच, जबलपुर जिले के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने मीडिया में एक वीडिया जारी करके कहा, गैलेक्सी अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमित पांच लोगों की मौत की जांच के मामले में जिला प्रशासन ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा कि इस समिति में एक संयुक्त कलेक्टर, एक चिकित्सक, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एवं उप कलेक्टर (जिले में चिकित्सीय ऑक्सीजन आपूर्ति की निगरानी करने वाला) शामिल हैं।
शर्मा ने बताया कि यह समिति इस घटना की हर कोंण (एंगल) से जांच करेगी, जिसमें यह भी शामिल है कि इस अस्पताल को निरंतर चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति किए जाने के बाद भी ऐसा हादसा क्यों हुआ। उन्होंने कहा कि जिले में सरकारी एवं निजी अस्पतालों में चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पाटन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक एवं प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई ने कहा, ऑक्सीजन के संबंध में निजी अस्पताल के खराब प्रबंधन के कारण यह घटना हुई।