स्वरूपरानी अस्पताल में पिटाई के बाद इंस्पेक्टर जुल्फिकार अपने भाइयों के साथ जख्मी हालत में अपनी मां के शव के साथ वहीं पड़े रहे। कोई भी सुध लेने वाला नहीं था। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के पहुंचने के बाद भी तब तक कोई सुनवाई नहीं हुई जबतक कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म नहीं हो गई। छह घंटे के बाद इंस्पेक्टर समेत परिजनों को प्राथमिक उपचार के लिए काल्विन अस्पताल भेजा गया। वहां से भी इंस्पेक्टर को अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए जाने की इजाजत नहीं थी। चर्चा शुरू हो गई कि मुकदमा दर्ज करके आरोपियों को जेल भेजा जाएगा, लेकिन शाम तक जब मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो उन्हें जाने की इजाजत मिली।
इंस्पेक्टर जुल्फिकार, उनका भाई सरफराज और कजिन हुसैल की एसआरएन कर्मचारियों से हुई मारपीट में गंभीर चोटें आई थीं। गुरुवार रात दो बजे के बाद हुए झगड़े में तीनों भाई खून से लतपथ हो गए थे। शुक्रवार भोर में पुलिस और प्रशासनिक अफसर भी पहुंच गए। उस वक्त तीनों भाई जख्मी हालत में पड़े थे। कुछ ही देर में उनकी मां की भी मौत हो गई। इधर, जूनियर डॉक्टरों के विरोध करने के दौरान उनको इलाज भी नहीं मिल रहा है। रात दो बजे से शुक्रवार सुबह 9 बजे तक वहीं पड़े थे। इसके बाद शाहगंज पुलिस तीनों भाइयों का इलाज कराने के लिए कॉल्विन अस्पताल ले गई।