म्यांमार में जब से सैन्य तख्तापलट हुआ है, वहां सेना खून की होली खेल रही है। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार के सुरक्षा बलों से बच्चों के खिलाफ हिंसा से बचने की अपील करते हुए कहा है कि फरवरी में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से कम से कम 51 बच्चे मारे जा चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पिछले 13 अप्रैल तक, म्यांमार के सुरक्षा बलों द्वारा कम से कम 51 बच्चों को मार दिया गया है और लगभग 1000 बच्चों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की देश की टीम सुरक्षा बलों से हिंसा से बचने और बच्चों और युवाओं को नुकसान के रास्ते से बाहर रखने की भी अपील करती है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, म्यांमार की सेना ने एक फरवरी को नागरिक सरकार को उखाड़ फेंका और एक साल की लंबी अवधि के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी तथा उसके बाद से अब तक कम से कम 707 लोग मारे गए। इससे पहले 10-11 अप्रैल को एक दिन में म्यांमार की सेना ने 82 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
म्यांमार में सुरक्षा बलों ने सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर फिर कड़ी कारवाई की। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसमें कम से कम 82 लोगों की मौत हुई है। इस बीच, सैन्य शासन (जुंटा) के प्रवक्ता ने नेपीता में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई का बचाव किया।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शन में हताहत हुए लोगों का रिकॉर्ड रखने वाले संगठन असिस्टेंट एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स ने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई में गुरुवार तक कम से कम 616 लोग मारे गए हैं। ब्रिगेडियर जनरल जॉ मिन तुन ने प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित हथियारों का इस्तेमाल किए जाने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि यदि ऐसा हुआ होता, तो कुछ ही घंटों में 500 लोग मारे गए होते। उन्होंने असिस्टेंट एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स द्वारा बताई गई मृतक संख्या को गलत बताया और कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या 250 है और 16 पुलिसकर्मी भी मारे गए हैं।