मोदीनगर की सीकरी फाटक कालोनी में कुट्टू के आटे की पकौड़ी खाने से एक ही कालोनी के 50 से अधिक लोगों की तबीयत खराब हो गई। दस से अधिक लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि कालोनी के लोगों ने एक ही दुकान से कुट्टू का आटा खरीदा था। रात 12 बजे के आसपास कुट्टू खाने से सभी की तबीयत खराब होनी शुरू होने शुरू हो गई।
लोगों की तबीयत खराब होने से कालोनी में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। बुधवार सुबह नाराज़ लोगों ने दुकानदार के खिलाफ जमकर हंगामा किया। लोगों ने दुकानदार पर मिलावटी आटा देने का आरोप लगाया। दुकानदार का कहना है कि वह कुट्टू गाजियाबाद से लाया था और निवाड़ी रोड स्थित एक आटा चक्की पर पिसवाया था। दस बीमार लोगों की हालत गम्भीर बताई जा रही है। उधर, रबूपुरा कोतवाली क्षेत्र के जोनचाना गांव से भी व्रत में कुट्टू का आटा खाने से करीब 15 लोगों की तबीयत खराब होने की खबर आ रही है। सभी को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कुसुम नाम की एक महिला ने बताया कि उन्होंने कालोनी की ही एक किराने की दुकान से कुट्टू का आटा खरीदा था। घर में सब लोग व्रत थे। उन्होंने कुट्टू के आटे की पकौड़ी बनाई जिसे सभी ने खाया लेकिन रात दो बजे के आसपास बारी-बारी सबकी तबीयत बिगड़ गई। आनन-फानन में सभी को लेकर अस्पताल आना पड़ा। उधर, कालोनी में लोगों दुकान को घेर लिया। उन्होंने दुकानदार पर खराब गुणवत्ता का कुट्टू का आटा बेचने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की।
कुट्टू का आटा क्या होता है और किससे बनता है
व्रत में सबसे ज्यादा कुट्टू का आटा खाया जाता है। इसके आटे से व्रत में खाने वाली पूड़ियां, पराठे, पकौड़े, चीला बनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्रत में कुट्टू का आटा क्यों खाया जाता है और यह किससे बनता है? आइए, जानते हैं खास बातें-
अनाज न होने की वजह से व्रत में खाया जाता है यह आटा
कुट्टू को अंग्रेजी में Buckwheat कहा जाता है, लेकिन इसका किसी तरह के अनाज से कोई संबंध नहीं है क्योंकि गेहूं, अनाज और घास प्रजाति का पौधा है जबकि कुट्टूस बकव्हीट का लैटिन नाम फैगोपाइरम एस्कलूलेंट है और यह पोलीगोनेसिएइ परिवार का पौधा है। बकव्हीट पौधे से प्राप्त फल तिकोने आकार का होता है। पीसकर जो आटा तैयार किया जाता है, उसे बकव्हीट यानी कुट्टू का आटा कहा जाता है। बकव्हीट का पौधा ज्यादा बड़ा नहीं होता है। इसमें गुच्छों में फूल और फल आते हैं। भारत में यह बहुत कम जगहों पर उगाया जाता है। हिमालय के हिस्सों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड और दक्षिण के नीलगिरी में जबकि नॉर्थ ईस्ट राज्यों में उगाया जाता है। भारत में इसका प्रयोग व्रत के दौरान खायी जाने वाली चीजों में ही होता है।
पोषण से भरपूर कुट्टू का आटा
कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है।इसमें मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, फॉलेट, जिंक, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस भरपूर मात्रा में होता है। इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट रूटीन भी होता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करता है। सेलियक रोग से पीड़ितों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है।
ये सावधानी जरूरी
किसी भी चीज को ज्यादा खाने या अधिक मात्रा में उसका इस्तेमाल करने से दुष्परिणाम झेलने पड़ते है। ऐसा ही कुट्टू के आटे के साथ भी है। जिन लोगों को इसे खाने से स्किन एलर्जी होती है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। उपवास के दौरान या महीने में 5-6 बार ही इसका सेवन करें। अधिक मात्रा इसका सेवन करने से शरीर पर दाने और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा आटे का ताजा होना बेहद जरूरी है। यदि कुट्टू के आटे से स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं या व्रत के दौरान इसका सेवन करते हैं तो ध्यान रहे कि ये ताजा होना चाहिए। यह आटा एक महीने में खराब हो जाता है। खराब आटे का सेवन करने से फूड प्वाइजनिंग, गैस जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।