संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 57 देशों में आधी से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें अपने ही शरीर को लेकर फैसला लेने का अधिकार नहीं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन महिलाओं को सेक्स, गर्भनिरोधक के इस्तेमाल या फिर इलाज तक के लिए किसी और की मर्जी पर निर्भर रहना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को यह रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट का शीर्षक, ‘My Body is My Own’ है। रिपोर्ट में दुनिया के 57 देशों में महिलाओं पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों का जिक्र किया गया है। इनमें बलात्कार, जबरन स्टेरलिज़ेशन से लेकर वर्जिनिटी टेस्ट और खतना तक शामिल हैं।
रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि कैसे महिलाएं बिना डर और प्रतिबंधों के अपने शरीर को लेकर फैसले नहीं ले पाती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि शारीरिक स्वायत्ता की इस कमी का असर व्यक्तिगत तौर पर महिलाओं और लड़कियों पर तो होता ही है साथ ही इससे अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है, ये कौशल को कम करती है और साथ में स्वास्थ्य-न्यायिक प्रणालियों पर भी इसकी वजह से ज्यादा लागत आती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अध्ययन किए गए देशों में से सिर्फ 56 प्रतिशत ही ऐसे हैं जहां सेक्स एजुकेशन दिए जाने को लेकर कानून या नियम हैं। यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड की डायरेक्टर नतालिया कानेम कहती हैं, ‘यह सच है कि आधी से ज्यादा महिलाओं को अब तक अपने फैसले लेने का अधिकार नहीं है। उन्हें यह तय करने का हक नहीं कि उन्हें सेक्स करना है या नहीं, गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना है या नहीं, इलाज करवाना है या नहीं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘करोड़ों महिलाएं और लड़कियां ऐसी हैं जिनका अपने ही शरीर पर अधिकार नहीं हैं। उनका जीवन कोई और चलाता है।’
रिपोर्ट में ऐसे 20 देशों की सूची भी है जहां बलात्कारियों को पीड़ित से शादी करने देने के लिए कानून है, ताकि वह आपराधिक धाराओं से मुक्त हो सके। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे 30 देश हैं जहां महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए भी प्रतिबंध झेलने पड़ते हैं तो वहीं 43 देश ऐसे भी हैं जहां मैरिटल रेप को लेकर कानून नहीं हैं।