राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दक्षिण दिल्ली के जौनपुर और डेरा मंडी वन इलाके में हुए अवैध निर्माण को ढहाने के अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायाधीश ए के गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अतिक्रमण को ढहाने संबंधी निर्देश वापस नहीं लिए जा सकते क्योंकि वहां अतिक्रमण है या नहीं इस मुद्दे पर अभी वैधानिक प्राधिकारों को कोई निर्णय लेना है।
पीठ ने कहा कि क्योंकि अधिकरण ने व्यक्तिगत मुद्दों के समाधान की प्रक्रिया शुरू नहीं की है और वैधानिक प्राधिकारों को केवल कानून के आदेश का पालन करने का निर्देश किया है, ऐसे में अगर आवेदनकर्ता असंतुष्ट हैं तो वे उन आदेशों के खिलाफ उचित वैधानिक उपाय करने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसे वह असंतुष्ट हैं। एनजीटी ने पूर्व में दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी के जौनपुर और डेरा मंडी वन इलाके में किए गए अवैध निर्माण को ढहाने का आदेश दिया था। एनजीटी ने कहा था कि अतिक्रमण को मंजूरी दे कर वन कानून को पराजित नहीं किया जा सकता।
अधिकरण ने इस आवेदन पर गौर किया कि 18 अगस्त 2020 को प्रस्तावित ढांचे को ढहाने का काम नहीं किया जा सका क्यों पुलिस बल मौजूद नहीं था जबकि उन्हें ढहाने की कार्रवाई वाले दिन पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात करने की जानकारी पहले ही दे दी गई थी। पीठ ने कहा कि इस प्रकार के अतिक्रमण को ढहाना एक चुनौती है। लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया तो हमारा समाज कानून व्यवस्था विहीन हो जाएगा। गौरतलब है कि दक्षिण जिले के उपायुक्त ने एक स्थिति रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया था कि करीब पांच हजार अतिक्रमणकर्ता हैं और वक्त के साथ वहां 750-800 अवैध ढांचों का निर्माण किया गया है साथ ही तीन हजार अतिक्रमणकारी दूसरे शिविर में रह रहे हैं। अधिकरण दक्षिण दिल्ली निवासी अमरजीत सिंह नलवा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसी के तहत अतिक्रमण को हटाने का निर्देश दिया गया था।