पेंटागन ने कहा है कि भारत की मंजूरी के बिना उसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के दायरे में अमेरिकी नौसेना पोत द्वारा नौवहन अधिकारों का उपयोग करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप है। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी नौसेना के पोत जॉन पॉल जोन्स के भारत के ईईजेड से गुजरने के संबंध में भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
असाधारण कदम उठाते हुए अमेरिकी नौसेना ने भारत की पूर्वानुमति के बिना इस सप्ताह लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू करने की घोषणा की थी जिसके बाद नयी दिल्ली ने शुक्रवार को अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उसने राजनयिक माध्यमों से वाशिंगटन को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है।
विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के सात अप्रैल के इस बयान पर भी विरोध दर्ज कराया कि अमेरिकी जहाज जॉन पॉल जोन्स द्वारा नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान में अंतरराष्ट्रीय कानून में निर्धारित समुद्र क्षेत्र के कानूनन इस्तेमाल, अधिकार और स्वतंत्रता को कायम रखा गया।
अमेरिकी नौसेना के कदम पर भारत की प्रतिक्रिया से संबंधित सवाल पर पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, ”मैं कह सकता हूं कि नौसेना के विध्वंसक पोत यूएसएस जॉन पॉल जोन्स ने मालदीव गणतंत्र के नजदीक समुद्री क्षेत्र में सामान्य परिचालन के तहत अहानिकारक तरीके से गुजरते हुए अपने नौवहन अधिकारों एवं स्वतंत्रता का उपयोग किया और ऐसे में उसने बिना पूर्वानुमति के उसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में परिचालन किया।
अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के कमांडर की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मिसाइल विध्वंसक पोत यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के जरिये सात अप्रैल को यह अभियान शुरू किया गया।
बयान में कहा गया, ”सात अप्रैल, 2021 को यूएसएस जॉन पॉल जोन्स (डीडीजी 53) ने भारत की अनुमति के बिना, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप उसके विशेष आर्थिक क्षेत्र लक्षद्वीप द्वीपसमूह के पश्चिम से लगभग 130 समुद्री मील दूर नौपरिवहन अधिकार एवं स्वतंत्रता अभियान शुरू किया।”
किर्बी ने पेंटागन में संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, ”यह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है। हम अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक उड़ान भरने, समुद्री परिचालन करने तथा परिचालन के अपने अधिकार तथा जिम्मेदारी को बनाए रखेंगे।
किर्बी ने कहा कि नौवहन स्वतंत्रता को कायम रखना, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समुद्र के कानूनी उपयोग, आजादी एवं अधिकारों को बनाए रखना अमेरिका की जिम्मेदारी है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ”समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र के समझौते (यूएनसीएलओएस) पर भारत का स्पष्ट रुख है कि इसके तहत दूसरे देशों को किसी तटीय देश की अनुमति के बिना उसके विशेष आर्थिक क्षेत्रों (ईईजेड) में और महाद्वीपीय भाग में सैन्य अभ्यास करने का और खासतौर पर हथियारों और विस्फोटकों का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ”यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के फारस की खाड़ी से मल्लका खाड़ी की ओर गुजरने के दौरान उस पर लगातार नजर रखी गयी। हमने पोत के हमारे ईईजेड से गुजरने के घटनाक्रम पर अपनी चिंताओं से अमेरिका की सरकार को राजनयिक माध्यमों से अवगत करा दिया है।