मऊ की अदालत से बाहुबली मुख्तार अंसारी को लगातार दूसरे दिन राहत मिली है। शुक्रवार को फर्जी शस्त्र लाइसेंस के मामले में जिला जज की कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को जमानत दे दी। हालांकि इस जमानत के बाद भी मुख्तार को जेल में ही रहना होगा।
मुख्तार की जमानत को लेकर आधे घंटे तक अभियोजन व बचाव पक्ष में तीखी बहस हुई। इस दौरान सदर विधायक के विरुद्ध कोई कूटरचना व षड़यंत्र का साक्ष्य न पाने पर जिला जज शंकर लाल ने मुख्तार की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। अंसारी को एक-एक लाख के दो बंधपत्र व इसी धनराशि का मुचलका प्रस्तुत करने पर रिहा करने का आदेश दिया गया। साथ ही आरोपी को इस मामले के साक्ष्य केा प्रभावित नहीं करने, बिना अदालत के अनुमति और मामले के निस्तारण तक देश छोड़कर बाहर नहीं जाने का भी आदेश दिया।
आरोप है कि मुख्तार अंसारी के लेटर पैड पर चार लोगों इसराइल अंसारी, अनवर सहजाद, सलीम व शाहआलम के शस्त्र लाइसेंस की सिफारिश की गई थी। मामले में इनके पते फर्जी पाये जाने पर पांच जनवरी 2020 को दक्षिणटोला थाने में केस दर्ज कराया गया था। इसमें मुख्तार अंसारी को भी आरोपित किया गया था। इसी को लेकर शुक्रवार को जिला जज की कोर्ट में सुनवाई हुई।
बचाव पक्ष के वकील दरोगा सिंह की ओर से मामले में कहा गया कि सदर विधायक मुख्तार अंसारी ने चार व्यक्तियों के नाम की संस्तुति अपने लेटर पैड पर की थी। जबकि उनके पूरे पते का सत्यापन तत्कालिन थाना प्रभारी दक्षिण टोला जेके सिंह व लेखपाल कैलाश सिंह ने किया था। इस पर पूर्ण संतुष्टि के बाद डीएम ने चार लोगों को शस्त्र लाइसेंस जारी किया था।
इस प्रकरण में मुख्तार अंसारी द्वारा सिफारिश के अलावा केाई अन्य भूमिका नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि इस मामले के आरोपीगण लेखपाल कैलाश सिंह, थानाध्यक्ष जेके सिंह की जमानत अर्जी पहले ही स्वीकृति हो चुकी है। आरोपी मुख्तार के विरुद्ध जो मामले दिये गये हैं। उनमें अधिकांश में दोष मुक्त हो चुकेे हैं। कुछ में फाइनल रिपोर्ट आ गई है। राजनीतिक द्वेष वश सभी गलत मामले अंकित है।
जनपद न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष के वकील व बचाव पक्ष से दरोगा सिंह के तर्कों को सुना। मामले में प्रस्तुत चार्जशीट का अवलोकन कर सदर विधायक मुख्तार के विरुद्ध कोई कूटरचना व षडयंत्र का साक्ष्य नहीं पाया। जिला जज ने आरोपित मुख्तार अंसारी को एक-एक लाख के देा बंधपत्र व इसी धनराशि का मुचलका प्रस्तुत करने पर रिहा करने का आदेश दिया।
इससे पहले गुरुवार को एक मामले में मुख्तार अंसारी की वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी हुई। मुख्तार की अपील के बाद कोर्ट ने बांदा जेल अधीक्षक को आदेश दिया कि वह मुख्तार के वकील और परिजनों को जेल मैनुअल के अनुसार उससे मिलने दे।