डीजल के बाद अब कृषि यंत्रों पर बिहार सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी की योजना बंद होने जा रही है। नये वित्तीय वर्ष के लिए राज्य में बन रही योजनाओं में कृषि यंत्रीकरण को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि केंद्र की योजना से किसानों को सब्सिडी मिलेगी। लेकिन, किसी भी यंत्र पर अनुदान किसी परिस्थिति में 50 प्रतिशात से अधिक नहीं होगा। पराली प्रबंधन से जुड़े कुछ यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा सकती है लेकिन उसकी भी अनुमति विभाग को लेनी होगी। पहले कई यंत्रों पर सरकार 90 प्रतिशत तक अनुदान देती थी।
किसानों को डीजल अनुदान देना बंद करने के बाद सरकार अब यंत्रों पर अनुदान देना बंद कर रही है। इसका अंदाजा बीते वर्ष की योजना से ही लग गया था। उस साल सरकार ने मात्र 23 करोड़ रुपये की व्यवस्था यंत्रों पर अनुदान के लिए की थी। इसके पहले वर्ष में 165 करोड़ और उससे भी पहले लगभग दो सौ करोड़ तक अनुदान के लिए पैसा विभाग के पास होता था। लेकिन इस साल राज्य मद से इस योजना में एक पैसा नहीं मिलेगा।
राज्य में सरकार ने कृषि यंत्रों पर अनुदान देने की योजना शुरू की तो राज्य में कृषि यंत्रीकरण में काफी वृद्धि हुई। 2005 के पहले राज्य में ट्रैक्टर के अलावा कोई यंत्र खेतों में नहीं दिखता था। उस समय तक कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण 0.5 और 0.8 किलो वाट प्रति हेक्टेयर पर वर्षों से रुका हुआ था। कृषि रोडमैप बनने के बाद बीज प्रतिस्थापन दर और यंत्रीकरण दर को बढ़ाने पर खासा जोर दिया गया। सरकार हर साल किसानों को अनुदान के रूप में लगभग दो सौ करोड़ रुपये देने लगी और खेतों में कई आधुनिक यंत्र दौड़ने लगे। लिहाजा यंत्रीकरण 1.8 किलो वाट प्रति हेक्टेयर पहुंचकर राष्ट्रीय औसत 1.5 को पार कर गया। लेकिन अब इसके आगे बढ़ने की गति मंद पड़ने लगी है।
सरकार का मानना है कि बिजली की आपूर्ति बढ़ी तो डीजल पर अनुदान देने का कोई मतलब नहीं है। किसानों को बिजली से सिंचाई सस्ती पड़ती है। इसी तरह राज्य में यंत्र बैंकों की स्थापना होने लगी तो अब यंत्र खरीदने वालों की संख्या कम हो जाएगी। जितनी संख्या में किसान यंत्र खरीदेंगे, उनकों केंद्र की योजना से ही अनुदान मिल जाएगा।
कृषि यंत्रीकरण योजना
50 हजार किसान औसतन हर साल लेते थे लाभ
200 करोड़ रुपये तक अनुदान देती थी सरकार
23 करोड़ रुपये ही गत वर्ष हुई थी व्यवस्था
71 यंत्रों पर पहले मिलता था अनुदान