भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के काफिले पर शुक्रवार को राजस्थान में हुए हमले के आरोप में पुलिस ने एक छात्र नेता सहित चार लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने बताया कि यह घटना बहरोड़ के ततारपुर चौराहे पर हुई थी।
किसान नेता टिकैत की गाड़ियों के काफिले पर शुक्रवार को अलवर जिले में कुछ लोगों ने कथित रूप से पत्थर फेंके। घटना में किसी को चोट तो नहीं लगी, लेकिन टिकैत की कार का पिछला शीशा क्षतिग्रस्त हो गया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, भाकियू का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोग भाजपा से सम्बद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हैं। यूनियन ने आरोप लगाया है कि इस हमले के पीछे भाजपा का हाथ है।
भिवाड़ी के पुलिस अधीक्षक राम मूर्ति जोशी ने बताया कि जिस वाहन को निशाना बनाया गया था उसमें टिकैत मौजूद नहीं थे। घटना में कोई घायल नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि मत्स्य विश्वविद्यालय अलवर के छात्र नेता कुलदीप राव ने अपने समर्थकों के साथ वहां से गुजर रहे टिकैत के काफिले को काले झंडे दिखाए। उन्होंने कहा कि काफिले के कुछ वाहन वहां रुक गए और उनमें सवार सदस्यों की इस मुद्दे को लेकर झंडे दिखा रहे लोगों से बहस हुई। इस बीच उनमें से किसी ने पत्थर मारकर एक कार का शीशा तोड़ दिया।
पुलिस अधीक्षक के अनुसार, घटना के संबंध में मुख्य आरोपी कुलदीप राव सहित चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। टिकैत के साथ चल रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने कहा कि आरोपी लगभग 40-50 की संख्या में थे और उनके पास लाठियां थीं। उन्होंने कहा कि हम हरसोली में पहली बैठक को संबोधित करने के बाद बानसूर की ओर जा रही थे तो तातारपुर के पास यह घटना हुई। घटना के बाद टिकैत ने दूसरी सभा को संबोधित किया।
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रात में ट्वीट किया, ”अलवर में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के काफिले पर भाजपा के लोगों द्वारा हमला निंदनीय है, दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।” गहलोत के अनुसार,’ भाजपा किसान आंदोलन की शुरुआत से ही किसानों के हक में संघर्ष करने वालों के प्रति अनर्गल बयानबाजी, अलोकतांत्रिक बर्ताव कर रही है जो शर्मनाक है।’
राजस्थान में टिकैत पर हुये हमले के विरोध में दिल्ली सीमा पर जाम
टिकैत पर शुक्रवार हुए कथित हमले से आक्रोशित संगठन के दर्जनों नेताओं ने शुक्रवार रात को दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर पर जाम लगा दिया था। नोएडा के अपर पुलिस उपायुक्त (जोन प्रथम) रणविजय सिंह ने बताया कि नोएडा से दिल्ली वाले रास्ते को जाम करके, भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने करीब 3 घंटे तक विरोध जताया। उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंचे पुलिस के अधिकारियों के समझाने बुझाने के बाद किसान नेताओं ने जाम खोला।
किसानों ने केएमपी पर भी लगाया जाम
किसान नेता राकेश टिकैत की गाड़ी पर राजस्थान के अलवर में हुए हमले के विरोध में गुस्साए किसानों ने कुंडली में कुंडली-मानेसर- पलवल (केएमपी) पहुंच कर जाम लगा दिया। टिकैत पर हमले की सूचना आग की तरह किसानों में फैल गई। कुंडली धरने पर बैठे सैकड़ों किसान शाम करीब पौने सात बजे अपने दर्जनों ट्रैक्टर लेकर कुंडली के पास केएमपी पर चढ़ गए और जाम लगा दिया। अचानक एक्सप्रेस-वे रोके जाने से केएमपी पर लंबा जाम लग गया। किसानों ने यहां सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों के जाम लगाने के बाद पुलिस भी हरकत में आई और किसानों को मनाने के प्रयास शुरू किए, लेकिन किसान नहीं माने। करीब 20 मिनट के बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा ने जाम लगा रहे किसानों को फोन पर संदेश दिया कि फिलहाल जाम न लगाएं और वापस आ जाएं। जाम लगाने या अन्य कार्रवाई के बारे में बाद में बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। ऐसे में किसानों ने जाम खोल दिया और वापस धरने पर लौट गए।
टिकैत ने कहा- हमले के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने राजस्थान में उनके काफिले पर हुए हमले का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा है। टिकैत ने साफ शब्दों में कहा मुझ पर हुए हमले के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। टिकैत ने कहा कि यह उनकी यूथ विंग का काम है। वे कह रहे थे, “राकेश टिकैत, गो बैक”। मुझे कहां जाना चाहिए? उन्होंने हम पर पत्थर फेंके, लाठियां चलाईं। वे हमसे क्यों लड़ रहे हैं, हम किसान हैं कोई राजनीतिक पार्टी नहीं हैं। हमारा विरोध सरकार की नीतियों के खिलाफ है। हम बीजेपी का विरोध नहीं कर रहे हैं। उनके लोग यहां आते हैं और बात करते हैं। आज हमारा कार्यक्रम अलीगढ़ में है। कल हम दो दिनों के लिए गुजरात जा रहे हैं, यह बहुत संवेदनशील क्षेत्र है, हमारे किसानों को सावधान रहना चाहिए। बाहरी लोगों को वहां जाने की अनुमति नहीं है। हमें राज्य के किसानों, राजनेताओं और प्रेस को मुक्त कराना है।