राजधानी की गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगने के मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) को पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी ) पर 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है।
गोपाल राय ने मंगलवार को कहा था कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग रोकने के लिए कदम नहीं उठाने को लेकर ईडीएमसी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राय ने कहा था कि लैंडफिल साइट के एक हिस्से में रविवार शाम को आग लग गई थी, जिससे इलाके में प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है।
उन्होंने बताया था कि डीपीसीसी की एक टीम ने लैंडफिल साइट का निरीक्षण किया और उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस लैंडफिल साइट का प्रबंधन संभालने वाली ईडीएमसी ने वहां ऐसी घटना रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया। उन्होंने कहा कि ईडीएमसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री ने कहा था कि डीपीसीसी ने विभिन्न एजेंसियों को पत्र लिखकर उनसे ऐसी सभी जगहों की निगरानी करने को कहा है जहां बढ़ते तापमान की वजह से आग लग सकती है।
इसके साथ ही उन्होंने केंद्र से उत्तरी राज्यों में प्रदूषण का स्तर घटाने के लिए एक एक्शन प्लान बनाने की अपील भी की। राय ने कहा था कि दिल्ली इसके लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है। दो संगठनों- आईक्यूएयर और सेंटर फॉर साइंस एडं इनवायरॉनमेंट ने अपनी रिपोर्टों में इस बात माना है कि शहर में वायु प्रदूषण का स्तर घटा है।
गौरतलब है कि बीते दिनों जारी हुई विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय से देखी जा रही प्रवृत्ति से पता चलता है कि दिल्ली में प्रदूषण पर अंकुश लगा है और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 का वार्षिक स्तर हर साल गिर रहा है। ”कैपिटल गेन्स- क्लीन एयर एक्शन इन दिल्ली-एनसीआर : व्हाट नेक्स्ट? शीर्षक की इस रिपोर्ट में एक रूपरेखा दी गई है कि राजधानी और एनसीआर को क्षेत्र में वायु प्रदूषण कम करने के लिए क्या करना चाहिए। इसमें उठाए जाने वाले कदमों में खेती के तरीके में बदलाव से लेकर कम पराली जलाने की बात की गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, 2014-15 से अब तक तीन साल का औसत कम हुआ है। हालांकि, इस गिरावट के बावजूद दिल्ली को वायु गुणवत्ता के मानकों पर खरा उतरने के लिए पीएम 2.5 में सालाना 60 प्रतिशत से अधिक की कटौती करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक क्षेत्र में गैस तेल और पेट्रोलियम कोक पर प्रतिबंध के बाद कोयले के स्थान पर भी स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।