सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नोएडा की एक महिला द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि नोएडा से दिल्ली के बीच की सड़क को क्लीयर रखा जाए ताकि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में परेशानी न हो।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने मोनिका अग्रवाल की याचिका पर केंद्र और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया, जिन्होंने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया है कि उन्हें नोएडा से दिल्ली तक यात्रा में सामान्य समय 20 मिनट के बजाय दो घंटे लग रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 9 अप्रैल को तय करते हुए कहा कि हम यह सुनिश्चित करना उचित समझते हैं कि जवाबदेह लोगों को नोटिस जारी किया जाए और सड़क को क्लीयर रखा जा सके ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का मार्ग प्रभावित न हो।
याचिकाकर्ता महिला ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोड को क्लीयर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किए गए विभिन्न निर्देशों के बावजूद अभी भी ऐसा नहीं हुआ है।
मोनिका अग्रवाल ने कहा कि सिंगल पैरेंट्स होने के साथ ही वह कुछ बीमारियों से भी जूझ रही हैं। ऐसे में दिल्ली की यात्रा करना एक बुरा सपना बन गया है। याचिका में कहा गया है कि वह नोएडा में रहती है और काम करती हैं, लेकिन चूंकि उनका मार्केटिंग का काम था, इसलिए उन्हें अक्सर दिल्ली आना पड़ता था।
कोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह एक सिंगल पैरेंट्स हैं और उन्हें कुछ बीमारियां भी हैं और यह दिल्ली की यात्रा करना उनके लिए एक बुरा सपना बन गया है जहां सामान्य समय 20 मिनट के बजाय उन्हें दो घंटे लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोड को क्लीयर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किए गए विभिन्न निर्देशों के बावजूद अभी भी ऐसा नहीं हुआ है। हम इसे देख रहे हैं, यदि ऐसा है तो यह एक प्रशासनिक विफलता है क्योंकि इसके लिए हमारे द्वारा पहले ही आदेश दिया जा चुका है।