इजरायल में मंगलवार को हुए चुनावों में मतगणना पूरी हो चुकी है, लेकिन इस बार भी किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। नेतन्याहू की लिकुड पार्टी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी है, लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए सरकार गठन की राह और मुश्किल हो सकती है।
दो साल के अंदर चौथी बार हुए चुनाव में मतगणना के बाद नेतन्याहू की लिकुड पार्टी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी है। हालांकि 120 सदस्यीय नेसेट (इजरायली संसद) में बहुमत के लिए जरूरी 61 सदस्यों के आंकड़े तक पहुंचने का रास्ता अब भी स्पष्ट नहीं है।
इजरायल के बुरी तरह बंटे राजनीतिक परिदृश्य में वाम, दक्षिण और मध्यमार्गी धड़ों वाला नेतन्याहू विरोधी खेमा उनके कुछ दोस्तों से विरोधी बने नेताओं के सहयोग से देश के सबसे लंबे समेत तक पद पर रहे प्रधानमंत्री को हटाने को लेकर संकल्पित था, लेकिन वह भी बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाया।
मंगलवार को एग्जिट पोल्स के आधार पर अधिकतर विश्लेषकों ने नेतन्याहू के नेतृत्व वाले गठबंधन की वापसी का पूर्वानुमान व्यक्त किया था और उन्हें उम्मीद थी कि पूर्व में प्रधानमंत्री के सहयोगी यामिना पार्टी के प्रमुख नफ्ताली बेनेट उनका समर्थन करेंगे। यामिना पार्टी ने हालांकि किसी भी दल के लिए अपने समर्थन का ऐलान नहीं किया था।
इन चुनावों में हालांकि अब्बास के नेतृत्व वाली इस्लामी युनाइटेड अरब लिस्ट पार्टी (यूएएल) ने सबको चौंकाया और बहुमत जुटाने में उनकी चार सीटों का समर्थन निर्णायक साबित होगा। इस बात से नेतन्याहू खेमे की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं क्योंकि यमिना पार्टी के समर्थन देने की सूरत में भी उनकी सीटों की कुल संख्या 59 होगी जो बहुमत के लिए पर्याप्त नहीं है।