महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना नेता संजय राउत ने गुरुवार को कहा कि राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख को सिर्फ इसलिए इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उनपर में जबरन वसूली का रैकेट चलाने का आरोप लगाया गया है। राउत ने इस मामले में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ‘गंदी राजनीति’ करने का आरोप लगाया और कहा कि वे इसका शिकार नहीं होना चाहते हैं। इसलिए, देशमुख से कोई इस्तीफा नहीं मांगा गया है। यह एक गलत मिसाल कायम करेगा।
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने बीते शनिवार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर वसूली करने से जुड़ा गंभीर आरोप लगाया था, इसके बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने सचिन वाझे से हर महीने बार, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठानों से 100 करोड़ रुपए की उगाही करने के लिए कहा था। हालांकि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता देशमुख ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
अब इस मसले पर संजय राउत ने कहा है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस मामले की जांच कर सकते हैं। उन्होंने इस्तीफे को लेकर बने संदेह को खारिज कर दिया और कहा कि देशमुख के पद पर बने रहने पर भी निष्पक्ष जांच संभव है। उन्होंने कहा, “इस्तीफा देने की कोई परंपरा नहीं है। किसने कहा कि पद पर बने रहने तक निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है? अगर एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जांच करते हैं, तो इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि उस पत्र के कई पहलुओं पर संदेह है, संदेह है कि क्या परम बीर सिंह ने ही पत्र लिखा था? या फिर किसी दूसरे ने इसे लिखा था और उन्होंने बस इस पर साइन किया है।
राउत ने सवाल किया कि क्या भाजपा शासित राज्यों ने किसी मंत्री के खिलाफ बिना जांच के कार्रवाई की है। उन्होंने कहा, “पहले दिन से, गृह मंत्री ने जांच के लिए कहा, मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच होनी चाहिए। केवल विपक्ष ही जांच नहीं चाहता था और चाहता था कि देशमुख जांच से पहले इस्तीफा दे दे।”
भाजपा नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि राउत एक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता की तरह बोल रहे हैं। “जब शिवसेना मंत्री संजय राठौड़ ने एक महिला की मौत से कथित लिंक होने के आरोपों का सामना किया, उस समय राउत ने यह नहीं कहा कि जांच से पहले इस्तीफे की कोई आवश्यकता नहीं है। वह शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं का बचाव करना भूल गए हैं, लेकिन एनसीपी के एक मंत्री का बचाव कर रहे हैं।”