मध्यप्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार के पतन का आज एक वर्ष पूरा होने पर भोपाल में अनेक राजनैतिक गतिविधियां दिखायी दीं। सरकार पतन का मुख्य कारण बने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज यहां पहुंचे और उन्होंने अपनी सक्रियता दिखायी।
श्री सिंधिया सुबह विमान से यहां पहुंचे और उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ यहां स्मार्ट पार्क में पौधारोपण किया। उन्होंने इसके बाद मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर श्री चौहान के साथ मुलाकात की। इस मौके पर उनके समर्थक मंत्री तुलसीराम सिलावट भी मौजूद थे। श्री सिंधिया ने भोपाल यात्रा के दौरान मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि वे पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस नेताओं के बयान सुनते आ रहे हैं। कांग्रेस को अब जनता पूरी तरह नकार चुकी है। इस तरह की चिंता और बयान कांग्रेस नेता पहले करते, तो शायद बेहतर रहता। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके नेता’सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
एक वर्ष पहले मार्च माह में दो सप्ताह से अधिक समय तक चली अभूतपूर्व राजनैतिक घटनाक्रमों के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 2० मार्च 2०2० को त्यागपत्र दिया था और इस तरह पंद्रह माह पुरानी कांग्रेस सरकार का पतन हो गया था। तत्कालीन कांग्रेस नेता श्री सिंधिया समर्थक लगभग दो दर्जन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर श्री सिंधिया की तरह भाजपा का दामन थाम लिया था। इस तरह कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गयी थी और बहुमत के चलते भाजपा ने सरकार बनायी। श्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2०2० को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और वे चौथी बार इस पद पर आरुढ़ हुए।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आज राज्य में लोकतंत्र सम्मान दिवस के नाम पर भोपाल समेत विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस अवसर पर जनता के नाम जारी संदेश में आरोप लगाया कि उस समय भाजपा ने सौदेबाजी कर सरकार बनायी थी, जबकि कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। इसलिए आज कांग्रेस लोकतंत्र सम्मान दिवस मना रही है।
इस बीच भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने ट्वीट कर कहा कि मध्यप्रदेश के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। एक साल पहले आज ही खुशहाली लौटी थी। वहीं एक वर्ष पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के 15 माह के शासन के दौरान राज्य में लूट और भ्रष्टाचार का बोलबाला था और वहीं एक वर्ष के भाजपा शासनकाल में जनता के हित में तमाम विपरीत स्थितियों के बीच ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं।